8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के फैसले के बाद बाजार में प्रचलित नकदी की संख्या में तेज उछाल देखने को मिला था। नोटबंदी के बाद करीब 99.9 फीसद करेंसी सिस्टम में वापस लौट आई, लेकिन इस साल मई महीने के बाद इसमें कुछ सुस्ती देखने को मिली। इसकी वजह कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी मुद्रा भंडार में आरबीआई की ओर से की गई निकासी को माना जा रहा है। यह अनुमान एक रिपोर्ट में लगाया गया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी 2017 के दौरान बाजार में प्रचलित करेंसी की संख्या 9 ट्रिलियन डॉलर थी जो कि 14 सितंबर 2017 तक 19.5 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई। लेकिन मई 2018 की शुरुआत से यह 19 से 19.6 ट्रिलियन डॉलर के आस पास रहा। एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया गया, “इसका एक संभावित कारण यह हो सकता है कि लोग ईंधन की कीमतों में हालिया बढ़ोत्तरी को देखते हुए अपने खर्चों में वापस से कमी ला रहे हैं।”
इसका अन्य कारण यह भी हो सकता है कि आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से सीधे बिकवाली की है ताकि रुपये की स्थिति को संभाला जा सके और प्रचलित मुद्रा की संख्या में कमी लाई जा सके। गौरतलब है कि सरकार ने नोटबंदी का फैसला साल 2016 में 8 नवंबर को लिया था जिसके चलते 9 नवंबर 2016 से ही 500 और 1000 रुपये के नोट अमान्य हो गए थे जो कि उस वक्त बाजार में प्रचलित मुद्रा का 86 फीसद हिस्सा थे। इसके बाद आरबीआई ने 500, 2000, 200, 50 और 10 रुपये के नए नोट जारी किए।