बहुत बुरा होता है किसी के विश्वास को तोड़ने का दंड, पढ़ें स्कंद पुराण की यह कथा

चंद्र वंश में नंद नाम के एक प्रसिद्ध महाराजा थे, जो पृथ्वी का धर्मपूर्वक पालन करते थे। उनको एक पुत्र हुआ। जिसका नाम धर्मगुप्त था। नंद ने राज्य की सुरक्षा का जिम्मा अपने बेटे को दिया और स्वयं तपस्या के लिए वन में चले गए। अपने पिता के वन चले जाने के कारण धर्मगुप्त ने राज-पाट संभाल लिया। वह पृथ्वी का पालन करने लगा। वह धर्मों का ज्ञाता और नीतियों का पालन करने वाला था।

राजा धर्मगुप्त ने अनेक प्रकार के यज्ञ किए। इंद्र समेत अन्य देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उसने कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान कराए। ब्राह्मणों को दान में कई क्षेत्र और धन दिया। उनके शासन काल में सभी लोग अपने अपने धर्म का पालन करते थे। उनके राज्य में चोरी नहीं होती थी।

एक दिन राजा धर्मगुप्त घोड़े पर सवार होकर वन में जा रहे थे। वन में चलते-चलते रात हो गई। तब राजा ने वन में एक स्थान पर संध्या वंदना की और वेद माता गायत्री के मंत्रों का जाप किया। रात के अंधेरे में सिंह, बाघ जैसे जंगली जानवरों के भय से वे एक पेड़ पर बैठ गए। तभी उस पेड़ के पास एक रीछ आ गया। वह एक सिं​ह के डर से वहां आया था। वह सिंह उस रीछ का पीछा कर रहा था। उसके डर से वह रीछ पेड़ पर चढ़ गया। उसने पेड़ पर बैठे राजा धर्मगुप्त को देखा।

उन्हें देखकर रीछ बोला- महाराज! आप न डरें। हम दोनों रातभर यहीं रहेंगे क्योंकि नीचे एक सिंह उसका पीछा करते हुए यहां तक आ गया है। आप आधी रात तक सो जाओ, मैं आपकी रक्षा करता रहूंगा। उसके बाद जब मैं नींद लूं, तो तुम मेरी रक्षा करना।

रीछ की बात सुनकर धर्मगुप्त सो गए। तब सिंह ने रीछ से कहा कि राजा सो गया है, तुम उसे नीचे गिरा दो। तब रीछ ने कहा कि तुम धर्म को नहीं जानते हो। विश्वासघात करने वाले को संसार में बहुत ही कष्ट भोगना पड़ता है। दोस्तों से द्रोह करने वाले लोगों का पाप 10 हजार यज्ञों के अनुष्ठान से भी नष्ट नहीं होता है। हे सिंह! इस पृथ्वी पर मेरु पर्वत का भार ज्यादा नहीं है, जो विश्वासघाती हैं, उनका भार इस पृथ्वी पर सबसे अधिक है।

रीछ की बात सुनकर सिंह चुप हो गया। इसी बीच धर्मगुप्त जगे और रीछ सो गया। तब सिंह ने राजा से कहा ​कि रीछ को नीचे गिरा दो। तब राजा ने उस रीछ को अपनी गोद से नीचे गिरा दिया। लेकिन वह रीछ नीचे नहीं गिरा, वह पेड़ की डाली पकड़कर लटक गया। वह क्रोधित होकर धर्मगुप्त से बोला- मैं इच्छाधारी ध्यानकाष्ठ मुनि हूं। मेरा जन्म भृगुवंश में हुआ है। मैंने अपना भेष बदलकर रीछ का रूप धारण किया है। मैंने तुम्हारा कोई अपराध नहीं किया था। फिर तुम ने सोते समय मुझे पेड़ से नीचे गिराने की कोशिश क्यों की? तब उस मुनि ने राजा धर्मगुप्त को श्राप देते हुए कहा ​कि तुम जल्द ही पागल होकर इस पृथ्वी पर भ्रमण करोगे। इस तरह से राजा धर्मगुप्त को विश्वासघात का दंड मिला। (स्कंद पुराण से)

सीख: हमें किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए। किसी के विश्वास को तोड़ने का दंड बहुत बुरा होता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com