माता सरस्वती हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। यह विद्या और सद्बुद्धि की देवी हैं। यह ब्रह्मा की मानसपुत्री हैं जो विद्या की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं। इनका नाम ‘शतरूपा’ भी है। देवी भागवत के अनुसार ये ब्रह्मा की स्त्री कहलाती हैं। वसंत पंचमी के दिन इनका खास पूजन किया जाता है।
विद्या और ज्ञान को पाने के लिए हर कोई इनका पूजन करता है। इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन सकता है। मां सरस्वती को अपनी पूजा से प्रसन्न करने के लिए कुछ मूल मंत्रों का जाप करने से विशेष कृपा मिलती हैं।
पूजा करने के लिए इस मंत्र का जाप करने से अत्याधिक लाभ मिलता है।
“श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा”
अगर किसी बच्चे की याददाश कमजोर हो या जो ठीक से याद नहीं कर सकता हो तो उसे नीचे लिखे मंत्र का जाप करना चाहिए।
“ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः”
इन मंत्रों का जाप करने के लिए कुछ विशेष नियमों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए-
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि क्रार्यों से निवृत्त होकर इन मंत्रों का जाप करने से जल्दी लाभ मिलता है।
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
मंत्र का जाप साफ-सुथरे आसन पर बैठकर ही करना चाहिए।