बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की शुभ मुहूर्त में पूजा और वंदना की जाती है। इस दिन सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र व किताबें रखें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें। बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। छह माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इस दिन खिलाया जाता है। यहां पढ़ें सरस्वती वंदना:

सरस्वती वंदना-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
सरस्वती वंदना गीत-
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
– सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
मां सरस्वती की आरती
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ ॐ जय..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ ॐ जय..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ ॐ जय..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ ॐ जय..
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॐ जय..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ ॐ जय..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..
सरस्वती पूजा की तिथि:
पंचमी तिथि दो दिन होने के कारण बहुत से लोगों में भ्रम की स्थिति की है कि यह त्यौहार कब मनाया जाएगा। बसंत पचमी की उदया तिथि 10 फरवरी को होने के कारण उत्तर प्रदेश समेत देश के अधिकांश हिस्सों में सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी का पर्व 10 फरवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिषात्रियों के अनुसार 10 फरवरी को ही बसंत पंचमी मनाना शास्त्र सम्मत है।
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