‘बर्फ’ चंद्रमा और बुध पर अनुमान से अधिक हो सकती है, आसान होगा इंसानों को भेजना…

सूर्य के सबसे नजदीक स्थित ग्रह बुध और चंद्रमा पर अब तक के अनुमान से ज्यादा बर्फ मौजूद हो सकती है। मैरीलैंड स्थित नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में लूनर रीकॉनिसंस ऑर्बिटर प्रोजेक्ट से जुड़े शोधकर्ता नोआ पेट्रो ने यह दावा किया है। उन्होंने कहा, ‘चंद्रमा पर बर्फ के भंडार होने की पुष्टि हो जाए तो इससे अगले चंद्र मिशन में फायदा मिलेगा। इससे चांद पर लंबी अवधि के लिए मानव मिशन भेजना आसान हो जाएगा।

धरती पर मौजूद टेलीस्कोप और रडार ने पहले भी बुध पर हिमनद की तरह के बर्फ के भंडार होने का पता लगाया था। बाद में नासा के मर्करी सर्फेस, स्पेस एनवायरमेंट, जियोकेमेस्ट्री एंड रेंजिंग यान (मैसेंजर) ने इन भंडारों की तस्वीरें भी उतारी थीं। चंद्रमा पर हालांकि अब तक ऐसे किसी भंडार का पता नहीं चला था। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में हुए नए अध्ययन में चांद पर भी बर्फ का भंडार होने की बात सामने आई है।

नेचर जियोसाइंस नामक जर्नल में छपे शोध के अनुसार बर्फ के संभावित भंडार चांद और बुध के ध्रुवों के पास स्थित गड्ढों में हो सकते हैं। मुख्य शोधकर्ता लियोर रुबेनेंको ने कहा, ‘चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहले भी बर्फ होने का पता लगा था। अब वहां कुछ छिछले गड्ढे मिले हैं। हमारा अनुमान है कि उन गड्ढों का छिछलापन शायद बर्फ के भंडार के कारण ही है।’ बुध और चंद्रमा अपने अक्षों पर इस तरह घूमते हैं कि उनके ध्रुव पर सूर्य की रोशनी ठीक से नहीं पहुंच पाती है।

चूंकि चंद्रमा के ध्रुव पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती है इसी वजह से कई दशकों से माना जाता रहा है कि वहां मौजूद बर्फ के भंडार अरबों साल तक सुरक्षित रह सकते हैं। बीते 22 जुलाई को इसरो ने अपना दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 लांच किया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यह मिशन चांद पर बर्फ के भंडार खोजने में सफल होगा। चंद्रयान-2 के दूसरे खंड लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा है।

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव न केवल दुनिया से अपरिचित है, बल्कि काफी जटिल भी है। माना जाता है कि चंद्रमा के इस हिस्से में पानी के साथ खनिज भंडार भी हो सकते हैं। इसी कारण भारत के इस अंतरिक्ष अभियान पर दुनिया की निगाहें लगी हैं। वहां सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए भी पर्याप्त अवसर मौजूद हैं। इसीलिए वैज्ञानिक मान रहे हैं कि चंद्रमा सुदूर अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण अड्डा बन सकता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लांच किए चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की डार्क साइट में बर्फ होने की पुष्टि की थी। आपको बता दें कि इससे पहले चंद्रयान ने ही चांद पर पानी होने की भी जानकारी दी थी। इसरो के वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रमा के दक्षिण पोल पर मौजूद गड्ढ़ों में भी बर्फ जमा है। इसके अलावा इसके उत्तर पोल पर भी काफी बर्फ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा के डार्क हिस्‍से का तापमान -156 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।  

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