बरेली में मुआवजे की मांग को लेकर भाजपा सांसद संतोष गंगवार के आवास के बाहर धरना दे रहे ग्रामीणों के साथ रविवार रात मारपीट की गई। उनका टेंट उखाड़कर फेंक दिया गया। किसानों का आरोप है कि सांसद समर्थकों ने पुलिस के साथ मिलकर पिटाई की। पीटने से पहले लाइट बंद कर दी गई। प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ भी अंधेरे में अभद्रता की गई। हालांकि किसानों के इन आरोपों को सांसद और पुलिस ने बे-बुनियाद बताया है।
मुआवजे की मांग को लेकर करीब 25 गांवों के किसान 10 साल से आंदोलित हैं। शहर में बड़ा बाइपास के लिए वर्ष 2012-13 में करीब 32 गांवों में भूमि अधिग्रहण किया गया था। 25 से ज्यादा गांवों में किसानों की मर्जी के बिना प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण कर लिया था। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने बड़ा बाइपास का निर्माण भी करा दिया। इस दौरान इन गांवों के किसान सर्किल रेट के अनुसार मुआवजे के लिए भटकते रहे।
यह है मामला
आरोप है कि सांसद संतोष गंगवार के पैतृक गांव टयूलिया और पड़ोसी गांव धंतिया के किसानों को 60 लाख रुपये हेक्टेयर तक का मुआवजा दिलाया गया। प्रतिकर के रूप में भी 20 फीसदी तक भुगतान किया गया, लेकिन अन्य गांवों के किसानों को भूमि के बदले अधिकतम 25 लाख रुपये हेक्टेयर के हिसाब से ही मुआवजे का भुगतान किया गया। विरोध में किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया। इस दौरान सांसद संतोष गंगवार ने एक बार फरवरी 2019 और फिर अक्तूबर 2023 में किसानों को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी मिलवाया।
जिला प्रशासन स्तर से डीएम ने शासन को रिपोर्ट भी किसानों के पक्ष में भेजी। किसानों और एनएचएआई के बीच समझौते को लेकर भी बात चली, लेकिन बाद में एनएचएआई ने हाथ पीछे खींच लिए। इस बीच किसान लगातार सांसद से मिलकर मुआवजे की मांग करते रहे।
किसानों का आरोप है कि सांसद निस्तारण कराने के स्थान पर टालमटोल करने लगे हैं। पिछले सप्ताह भी किसानों ने सांसद को ज्ञापन देकर मामले का निस्तारण न कराने पर धरना देने की चेतावनी दी थी। इसी क्रम में रविवार को किसान सांसद आवास के बाहर धरने पर बैठ गए थे। इसी दौरान मारपीट किए जाने का आरोप है।
प्रदर्शनकारियों ने लगाया ये आरोप
प्रदर्शनकारी प्रेम यादव ने बताया कि किसान मुआवजे की जायज मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। धरना देने से पहले सांसद को ज्ञापन भी दिया गया था। धरने के दौरान रात के अंधेरे में किसानों को बिजली बंद करके सांसद समर्थकों ने पुलिस के साथ मिलकर पीटा। टेंट उखाड़कर फेंक दिया। महिलाओं के साथ भी अभद्रता की गई। किसानों को जायजा मुआवजा दिलाने में सांसद टालमटोल कर रहे हैं।
रीना पटेल ने कहा कि जमीन का मुआवजा 10 साल के बाद भी नहीं मिला है। इस मांग को लेकर गांव के लोग धरना दे रहे थे। सांसद ने अपने समर्थकों और पुलिस को भेजकर ग्रामीणों को पिटवाया। हम लोग कोई चोरी नहीं कर रहे थे। हमारी मांग जायज है। हम अपना हक मांग रहे थे तो मारने की क्या जरूरत थी।
सांसद बोले- मैं क्यों पिटवाऊंगा?
सांसद संतोष गंगवार ने कहा कि पीटने-पिटवाने का आरोप गलत है। मैं क्यों पिटवाऊंगा। मैं आज सुबह 10 बजे से घर पर नहीं हूं। सुबह 10 बजे मीरगंज गया। दोपहर 12 बजे शीशगढ़ पहुंचा। फिर नवाबगंज और रात में बिथरी चैनपुर पहुंचा। अभी बाहर हूं। इससे पहले भी कई बार ग्रामीण धरना देने आए तो उसकी सूचना दी और मैं उनसे हमेशा मिला हूं। अभी बीस दिन पहले ही मैंने इन ग्रामीणों को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलवाया था, उन्होंने पूरा मामला दिखवाने की बात कही थी। ये चाहते हैं उन्हें बरेली ही बुलवा लूं, ऐसा कैसे हो सकता है। जिस मुआवजे की मांग ये कर रहे हैं, वह मुआवजा उस समय 80 फीसदी किसानों ने लिया था। ऐसे किसान जिन्होंने मुआवजा नहीं लिया, उनका रुपया डीएम के पास जमा हो गया था। ये कहते हैं कि मुआवजा कम है। मुझ पर पीटने और पिटवाने का आरोप लगा रहे हैं जबकि मैं खुद इनकी चिंता करके दो बार दिल्ली ले जाकर केंद्रीय मंत्री से मिलवा चुका हूं।
प्रेमनगर थाने के इंस्पेक्टर आशुतोष रघुवंशी ने बताया कि कुछ लोग मौके पर रहे होंगे जिन्होंने अंधेरे का फायदा उठाकर किसानों के साथ धक्का-मुक्की की होगी। घटना के समय पुलिस मौके पर नहीं थी। पुलिस पर पिटाई का आरोप गलत है। किसान बाद में एडवोकेट अनिल कुमार से मिले थे। उनसे मुआवजा के संबंध में आश्वासन मिलने के बाद किसान शांत हो गए हैं।