भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के फैसले से बड़े होम लोन (Home Loan) की दर घटने की उम्मीद बढ़ी है। शुक्रवार को आरबीरआइ ने बड़े होम लोन के बदले रखे जाने वाले रिस्क वेटेज की सीमा को लोन टू वैल्यू से जोड़ने के लिए कहा। अभी होम लोन के रिस्क वेटेज को लोन की राशि और लोन टू वैल्यू (एलटीवी) के हिसाब से तय किया जाता है। इसका मतलब यह है कि अगर लोन की राशि अधिक है, तो रिस्क वेटेज अधिक होगा। अब इसकी गणना में लोन की राशि शामिल नहीं होगी, बल्कि यह सिर्फ लोन टू वैल्यू के हिसाब से तय होगा। इससे अब बैंक खुलकर बड़े होम लोन दे सकेंगे और रिस्क वेटेज कम होने से उनकी ब्याज दरों में भी कमी आएगी। यह नए होम लोन पर लागू होगा और 31 मार्च, 2022 तक प्रभावी रहेगा।
आरबीआइ ने कहा कि जहां एलटीवी (LTV) 80 प्रतिशत या इससे कम है वहां रिस्क वेटेज की सीमा 35 प्रतिशत की जा सकती है और जहां एलटीवी 80 से अधिक और 90 प्रतिशत से कम है, वहां रिस्क वेटेज की सीमा 50 प्रतिशत होगी। रिस्क वेटेज कम होने से बैंकों को लोन के बदले कम रकम आरक्षित रखना होगा, जिससे उनके पास कर्ज देने के लिए अधिक राशि होगी। आरबीआइ के इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर में मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। 80 प्रतिशत लोन टू वैल्यू का मतलब है कि बैंक मकान की कीमत का 80 प्रतिशत लोन देगा, बाकी की रकम खरीदार जुटाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी 75 लाख रुपये से अधिक के लोन पर कैपिटल रिजर्व की सीमा 50 प्रतिशत है जो अब 35 प्रतिशत तक हो सकती है।
दिसंबर से चौबीसों घंटे आरटीजीएस सुविधा
आरबीआइ के नए नियम के मुताबिक दिसंबर से चौबीसों घंटे आरटीजीएस (RTGS) के तहत भुगतान किया जा सकेगा। अभी बैंकों के कार्य दिवस के दौरान सुबह सात से शाम छह बजे तक आरटीजीएस से भुगतान किया जा सकता है। नई व्यवस्था से भारत के वित्तीय बाजार को दुनिया के वित्तीय बाजार से जोड़ने में आसानी होगी। इस सुविधा के बाद भारत 24 घंटे सातों दिन भुगतान की तत्काल सुविधा देने वाला चुनिंदा देश बन जाएगा।
अधिक ले सकेंगे खुदरा लोन
आरबीआइ के फैसले के मुताबिक अब पहले के मुकाबले खुदरा लोन अधिक मिल सकेगा। अभी खुदरा और छोटे कारोबार के लिए लोन की अधिकतम सीमा पांच करोड़ है, जिसे बढाकर 7.5 करोड़ कर दिया गया है। इससे छोटे कारोबारियों को काफी मदद मिलेगी।