बड़ा जलसंकट भारत में बिजली संयंत्रों के लिए पैदा हो सकता है

जलवायु परिवर्तन और जलमार्गों के चलते आने वाले दिनों में भारत में बिजली संयंत्रों के लिए पानी का संकट पैदा हो सकता है। भारत ही नहीं चीन समेत एशिया के विकासशील देशों के लिए अपने बिजली संयंत्रों को शीतल रखने के लिए पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

एक अध्ययन में यह सनसनीखेज जानकारी दी गई है। बता दें कि भारत में नदी जलमार्ग को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए नदी में एक तय मात्र में पानी का होना जरूरी है।

बिजली संयंत्र हो सकते हैं शिकार 

एनर्जी एंड एनवायरमेंट साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक कोयला को जलाकर बिजली पैदा करने वाले मौजूदा और आगामी बिजली संयंत्र इसके सबसे बड़े शिकार हो सकते हैं। अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर जेफ्रे बीलिक्की ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन का एक असर यह हुआ है कि मौसम बदलने लगा है, इसके चलते कहीं बहुत ज्यादा मानसूनी बारिश हो रही है तो कहीं भीषण सूखा पड़ रहा है।’

कम हो रही पानी की सप्लाई 

बीलिक्की ने कहा, ‘बिजली संयंत्रों-कोयला, परमाणु और प्राकृतिक गैस से चलने वाले-को शीतलता (कूलिंग) के लिए पानी की आवश्यकता होती है, जब बारिश नहीं होगी तो नदियों में पानी भी नहीं होगा और आप बिजली संयंत्रों को ठंडा नहीं कर सकेंगे।’ अमेरिका में कुछ बिजली संयंत्रों के लिए यह समस्या पैदा भी हो गई है। खासकर गर्मी के मौसम में इन बिजली संयंत्रों को पानी की सप्लाई कम हो जा रही है।

ज्यादा बिजली का उत्पादन समस्या 

विकासशील देशों में इस समस्या के गंभीर होने की संभावना है। मंगोलिया, दक्षिणपूर्वी एशिया, भारत और चीन समेत एशिया में 2030 तक 400 गीगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले संयंत्र लगाए जाने हैं। ज्यादा बिजली उत्पादन भी अपने आप में एक समस्या है, क्योंकि इसके लिए ज्यादा पानी की जरूरत पड़ेगी।

बिजली उत्पादन पर पड़ेगा असर 

बिजली संयंत्रों के लिए कूलिंग बहुत जरूरी है। कूलिंग के अभाव में उत्पादन ठप हो सकता है, जिससे घरेलू के साथ ही औद्योगिक इकाइयों के लिए बिजली का संकट पैदा हो जाएगा। बीलिक्की का कहना है कि ऐसे हालात में बिजली संयंत्रों की संख्या घटाने जैसे कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी नेताओं पर दबाव बनाने के लिए कार्यकर्ताओं ने वाशिंगटन में ट्रैफिक जाम करने का फैसला किया है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का ध्यान आकर्षित करने के लिए सोमवार को ट्रैफिक रोकेंगे। इस सम्मेलन में 60 देशों के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे।

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