बजट 2018: रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार कर सकती है ये बड़ा ऐलान...

बजट 2018: रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार कर सकती है ये बड़ा ऐलान…

देश में बढ़ती बेरोजगारी और नौकरियों के सृजन के मामले में आलोचना का शिकार हो रही मोदी सरकार गुरुवार को पेश होने वाले बजट में नई रोजगार नीति ला सकती है. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले सरकार का यह अंतिम पूर्ण बजट है, इसलिए सरकार रोजगार के मोर्चे पर कोई बड़ा ऐलान कर सकती है.बजट 2018: रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार कर सकती है ये बड़ा ऐलान...

गौरतलब है कि चार साल पहले सत्ता में आने पर ही मोदी सरकार ने रोजगार को मुख्य प्राथमिकता बताते हुए हर साल एक करोड़ नौकरियों के सृजन की बात कही थी. लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार हर साल महज 1.35 लाख नौकरियों का सृजन कर पाई है. अब सरकार के तमाम नीति-नियंता ईपीएफ के आंकड़ों के आधार पर यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि देश में रोजगार का पर्याप्त सृजन हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र लेबर रिपोर्ट के अनुसार 2018 में भारत में बेरोजगारों की संख्या 1.8 करोड़ तक पहुंच गई है.  

इसे देखते हुए मोदी सरकार को अगले आम चुनाव से पहले रोजगार तेजी से बढ़ाने की दिशा में कुछ ठोस उपाय करने होंगे. सरकार को सामाजिक, आर्थि‍क और श्रम नीति के दखल तथा सुधारों के द्वारा बहुउद्देशीय रोजगार सृजन नीति और विस्तृत खाका तैयार करना होगा. इस बात की पूरी संभावना है कि सरकार बजट में ऐसा करेगी.

नीति आयोग ने इस दिशा में काम करते हुए इसी महीने एक पॉलिसी पेपर तैयार किया था. इस पेपर में रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार को कई सुझाव दिए गए हैं. इस पेपर के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-

1. देश की जनसंख्या का 45 फीसदी हिस्सा जीडीपी के उस 17 फीसदी पर निर्भर है, जिसमें महज 3 फीसदी की दर से बढ़त हो रही है. दूसरी तरफ, जनसंख्या का 55 फीसदी हिस्सा जीडीपी के उस 83 फीसदी हिस्से पर निर्भर है जिसमें सालाना 9 फीसदी की दर से बढ़त (मैन्युफैक्चरिंग और सेवाएं) हो रही है.

2. श्रम शक्ति में महज 27 फीसदी महिलाएं, जबकि 75 फीसदी पुरुष भागीदार हैं.

3. आर्थिक तरक्की का केंद्र गहन रोजगार वाले सेक्टर होने चाहिए.

4. अभी हाल यह है कि आर्थिक तरक्की का ज्यादा हिस्सा कम रोजगार वाले क्षेत्रों जैसे वित्त, रियल एस्टेट आदि से आता है. ज्यादा रोजगार कम वेतन वाले सेक्टर्स में है. 80 फीसदी से ज्यादा फर्म में 50 या उससे भी कम कर्मचारी हैं. भारत को अपने श्रम कानून में बदलाव करना होगा ताकि वित्त और बुनियादी ढांचा सेक्टर को मदद मिल सके. 

5. इस समय करीब 1.23 करोड़ श्रमिक सरप्लस यानी जरूरत से ज्यादा हैं, जबकि हर साल 60 लाख नए श्रमिक आ जाते हैं.

6. निश्च‍ित अवधि और ज्यादा वेतन वाले वाले रोजगार को प्रोत्साहित करना होगा.

7. टेक होम सैलरी और सीटीसी में अंतर को घटना होगा. 15,000 से कम वेतन वालों के लिए कटौती का हिस्सा कम करना होगा.

8. नौकरियों के सृजन के साथ ही कौशल विकास पर जोर देना होगा.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com