दिल्ली विधानसभा की तस्वीर इस बार बदली-बदली दिखेगी। बजट सत्र के दौरान सदन में सत्ता पक्ष की 20 सीटें खाली रहेंगी। सत्र में सत्ता पक्ष के 46 विधायक ही मौजूद रहेंगे।
इनमें भी तीन-चार विधायक अमूमन पार्टी लाइन से अलग रूख रखने वाले होंगे। दूसरी तरफ बजट पेश होने के साथ इस बार दिल्ली सरकार और नौकरशाही के बीच रहे विवाद व सीलिंग के मसले पर भी चर्चा होगी।
दरअसल, बीते जनवरी महीने में चुनाव आयोग ने लाभ के पद के मामले में फैसला देते हुये आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।
इसमें दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत समेत संजीव झा, अलका लांबा, जनरैल सिंह, अनिल कुमार बाजपेयी, नितिन त्यागी जैसे तेज-तर्रार विधायक भी शामिल हैं।
हालांकि, बतौर मंत्री कैलाश गहलोत सदन में मौजूद रहेंगे, लेकिन बाकी विधायकों की आवाज सदन में नहीं गूंजेगी। पहले के सत्रों में यह विधायक जरूरत होने पर दमदारी से सरकार का पक्ष सदन में रखते थे।
दूसरी तरफ विपक्ष का सुर इस बारे थोड़ा तेज होगा। बीस विधायकों की गैर-मौजूदगी व कपिल मिश्रा, देवेंद्र सहरावत, पंकज पुष्कर, संदीप कुमार जैसे विधायक पार्टी लाइन से अलग जाकर बोलते हैं। विपक्ष के साथ मिलकर यह अपनी आवाज सदन में मजबूती से रखेंगे। इससे सदन में इनकी आवाज भी गूंजेगी।