पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 मई को पूरा हो रहा है। राजनीतिक हिंसा के बीच सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। पिछले 10 सालों से सत्ता में काबिज ममता बनर्जी सरकार को उखाड़ फेंकेन के लिए बीजेपी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटों पर विजय हासिल हुई थी जबिक भाजपा को महज तीन सीटों से संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस को इस चुनाव में 44 सीटें और माकपा को 26 सीटें मिली थी।
पश्चिम बंगाल में पहले चरण के तहत राज्य के पांच जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण के तहत चार जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर एक अप्रैल, तीसरे चरण के तहत 31 विधानसभा सीटों पर छह अप्रैल, चौथे चरण के तहत पांच जिलों की 44 सीटों पर 10 अप्रैल, पांचवें चरण के तहत छह जिलों की 45 सीटों पर 17 अप्रैल, छठे चरण के तहत चार जिलों की 43 सीटों पर 22 अप्रैल, सातवें चरण के तहत पांच जिलों की 36 सीटों पर 26 अप्रैल और आठवें चरण के तहत चार जिलों की 35 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होगा।
पश्चिम बंगाल में इस बार टीएमसी और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है। कांग्रेस-वाम गठबंधन से किसी चमत्कार की उम्मीद कम ही है। 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से टीएमसी को 22 तो भाजपा को 18 सीट मिली थी। कांग्रेस और वाम दलों के खाते में क्रमश: दो और एक ही सीट आई थी।