पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को शंखनाद कर दिया है और इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान किया है। तीस सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब ममता बनर्जी अपनी विधानसभा सीट भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ रही हों।
1991-2011 तक ममता बनर्जी कोलकाता (दक्षिण) की सांसद रहीं, जिसमें भवानीपुर शामिल है और 2011 से वह भवानीपुर से विधायक रहीं। ममता बनर्जी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मैं भवानीपुर से चुनाव लडूंगी लेकिन मैं यहां से चुनाव लडू या ना लडू, भवानीपुर हमेशा मेरी मुट्ठी में रहेगा।
राज्य के ऊर्जा मंत्री सोवनदेव चट्टोपाध्याय भवानीपुर से चुनाव लड़ेंगे। ममता बनर्जी ने आगे कहा कि मैं यहां हमेशा रहूंगी और निगरानी रखूंगी। बता दें कि तीन दशक पहले 1991 में ममता बनर्जी पर हमला किया गया था, वो उस दौरान कांग्रेस की रैली का नेतृत्व कर रही थीं। इस दौरान ममता बनर्जी के सिर पर चोट आई थी।
ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने घायल होकर, टूटे सिर के साथ कैंपेन किया था। लोगों ने हमेशा मुझ पर भरोसा किया है। मैं लड़ी और यहां से आठ बार चुनाव जीती। सोवनदेव चट्टोपाध्याय को भवानीपुर से उतारने पर ममता बनर्जी ने कहा कि उनका घर यही हैं, वो यहां स्थानीय क्लब में खेला करते थे।
भवानीपुर ने ममता बनर्जी के राजनैतिक सफर में काफी योगदान दिया है। एक केंद्रीय मंत्री से बंगाल की मुख्यमंत्री बनना आसान राह नहीं है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की जिस तरह लहर चली है, उससे वोट पैटर्न पर भी फर्क पड़ा है। 2011-14 के बीच भाजपा के वोट 5,078 से लेकर 47,465 पर पहुंच गए।
दुर्भादग्यवश, जिन तीन चुनाव में ममता बनर्जी लड़ीं, वहां वोट-शेयर गिरने लगा। जैसे- 2011 के उपचुनाव में, ममता बनर्जी को 77 फीसदी वोट मिले तो वहीं, 2016 में वोट शेयर 48 फीसदी कर गिर गया और 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी मात्र 3,168 वोटों से आगे रही।