बंगाल का ब्राह्मी शाक (पौधा) देश में सर्वश्रेष्ठ है। बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के वनस्पति शोध काउंसिल के मुताबिक यहां के ब्राह्मी शाक में सबसे ज्यादा बैकोसाइड ए पाया जाता है। इसके बाद देहरादून का स्थान है।
बता दें ब्राह्मी स्मृति शक्ति में वृद्धि की औषधि के रूप में विख्यात है। देश के 13 शहरों से एकत्रित किए गए ब्राह्मी शाक के नमूनों पर यह शोध किया गया है।
इन शहरों में दक्षिण 24 परगना, सोलन, दिल्ली, यमुनानगर (हरियाणा), चंडीगढ़, हरिद्वार, देहरादून, अंबाला, वाराणसी, सहारनपुर और रोहतक शामिल हैं। देश में मुख्यत: इन्हीं शहरों या उनके आसपास के इलाकोंं में ही ब्राह्मी की खेती होती है। इस आशय अध्ययन की रिपोर्ट प्रतिष्ठित जर्नल क्रॉसमार्क में प्रकाशित हुई है।
यह है बैकोसाइड : बैकोसाइड ही वह अर्क यानी एलकालॉयड है जिससे स्मृति शक्ति में वृद्धि होती है। वनस्पति शोध काउंसिल के अधिकारी डॉ प्रशांत सरकार ने बताया कि बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के नामखाना और सागरद्वीप में मुख्य रूप से ब्राह्मी शाक की खेती हो रही है।
दोनों क्षेत्रों में 1200 बीघा जमीन पर इसकी खेती हो रही है। 2016 में यहां 600 बीघा पर इसकी खेती होती थी। किसानों को धान, गेंहू की खेती के मुकाबले ब्राह्मी शाक की खेती में 10 गुना लाभ हो रहा है।
बंगाल के ब्राह्मी शाक की काफी मांग : डॉ. प्रशांत सरकार ने बताया कि बंगाल के ब्राह्मी शाक में सबसे ज्यादा बैकोसाइड पाए जाने के कारण इसकी पूरी दुनिया में काफी मांग है।
मुख्यतया अमेरिका, जापान, यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों में इसका बड़े पैमाने पर निर्यात हो रहा है। इसके अलावा देश में भी खासतौर पर बेंगलुरु, विजयवाड़ा, मुंबई आदि की दवा कंपनियां को भी यहां से ब्राह्मी शाक की आपूर्ति की जा रही है। यह कंपनियां इस पौधे से बैकोसाइड निकाल कर उसे विदेश निर्यात कर रही हैं।
ब्राह्मी का परिचय : बंगाल की जानी मानी आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. लोपामुद्रा भट्टाचार्य ने बताया कि ब्राह्मी का वानस्पतिक नाम बैकोपा मोनिएरी है और यह सक्रोफुलेरीएसी प्रजाति से संबंध रखती है।
यह आमतौर पर गर्म और नमी वाले इलाकों में पाई जाती है। पूरी जड़ी बूटी, जैसे कि इसके बीज, जड़ें, पत्ते, गांठे आदि का प्रयोग अलग अलग तरह की दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, भारत, ब्राह्मी पैदा करने वाले प्रमुख देश हैं।
50 हजार करोड़ रुपये का है बाजार : एक आकलन के मुताबिक, देश में हर्बल उत्पादों का बाजार करीब 50,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें सालाना 15 फीसद की दर से वृद्धि हो रही है।
जड़ी-बूटी और सुगंधित पौधों के लिए प्रति एकड़ बोआई का रकबा अभी भी इसके मुकाबले काफी कम है। हालांकि यह सालाना 10 फीसद की दर से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल 1,058.1 लाख हेक्टेयर में फसलों की खेती होती है। इनमें सिर्फ 6.34 लाख हेक्टेयर में जड़ी-बूटी और सुगंधित पौधे लगाए जाते हैं।