पश्चिम बंगाल में चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी बिगुल फूंकते हुए 291 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची का एलान कर दिया है। ममता बनर्जी ने इस बार नंदीग्राम विधानसभा सीट को अपनी रणभूमि के तौर पर चुना है।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक नंदीग्राम सीट से अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है लेकिन टीएमसी छोड़ भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी के नाम की संभावना जताई जा रही है। ममता बनर्जी इस बार भवानीपुर से ना लड़कर नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ेंगी।
पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट से ही तय होगा कि इस बार मुख्यमंत्री के सिंहासन पर कौन कब्जा जमाएगा। ममता दीदी दस मार्च से नंदीग्राम से पर्चा दाखिल करेंगी और 11 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन वो नंदीग्राम के मंच से हुंकार भरेंगी। ममता बनर्जी ने अपने इस फैसले से साफ कर दिया कि अब दीदी फ्रंट फुट से खेलेंगी।
ममता बनर्जी ने सुवेंदु अधिकारी को नंदीग्राम की कमान सौंपी थी लेकिन उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या भाजपा नंदीग्राम से सुवेंदु अधिकारी को खड़ा करेगी या नहीं। भाजपा की पश्चिम बंगाल चुनाव पर हुई चुनाव समिति में सबसे ज्यादा चर्चा नंदीग्राम को लेकर हुई। भाजपा की ओर से दावा किया गया है कि ममता को कम से कम 50,000 वोट से हराया जाएगा।
बता दें कि नंदीग्राम वही जगह है, जहां से ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने का रास्ता खुला था। 2007 में ममता बनर्जी का ‘मां, माटी और मानुष’ का आंदोलन भी यहीं से शुरू हुआ था। नंदीग्राम के संग्राम से ममता बनर्जी ने 34 साल के लेफ्ट शासन को हराया था और सत्ता पर अपना कब्जा किया था।
साल 2016 में हुए विधानसभा में सुवेंदु अधिकारी ने सीपीआई के अब्दुल कबी को हराया था। सुवेंदु का दबदबा नंदीग्राम में कैसा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें 66.79 फीसदी वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर रहे अब्दुल कबी को 26.49 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा को यहां सिर्फ 5.32 फीसदी वोट मिले थे।
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