एजेंसी/नई दिल्ली: अभिनेत्री-कार्यकर्ता शबाना आजमी का मनाना है कि हिन्दी फिल्मों में महिलाओं की कामुकता को दिखाने का तरीका बदलना चाहिए क्योंकि कामुकता और अश्लीलता के बीच एक महीन रेखा है। 65 साल की अभिनेत्री ने कहा कि वह नहीं चाहती की ‘नैतिकता के पहरेदार’ फिल्म उद्योग के कामकाज में हस्तक्षेप करें लेकिन उनका मानना है कि फिल्मकारों को खुद इसपर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘कामुकता को जिस तरह दिखाया जाता है, वह कैमरे के घूमने पर निर्भर करता है ना कि इस पर कि आप कैसे नृत्य करते हैं या कैसे कपड़े पहनते हैं। मुझे लगता है कि फिल्मकारों और कलाकारों को इसपर खुद से ध्यान देना चाहिए कि वे कामुकता को कैसे दिखाना चाहते हैं।’ अभिनेत्री ने यहां एक सम्मेलन में कहा, ‘हम इसे नैतिकता के पहरेदारों के हाथों में नहीं देना चाहते। यह एक बहुत ही महीने रेखा है जिसपर हमें ध्यान देना होगा।’
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