उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में मोहम्मदाबाद क्षेत्र के गांव करथिया में 26 बच्चों को बंधक बनाने वाले सिरफिरे सुभाष बाथम को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया और सभी बच्चे सकुशल देर रात निकाल लिए। इस दौरान भीड़ ने उसकी पत्नी रूबी को भी जमकर पीट दिया। उसे गंभीर हालत में लोहिया अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
जिले के बरेली-इटावा हाईवे स्थित गांव करथिया में बच्चों को बंधक बनाने वाले सिरफिरे को पुलिस ने नौ घंटे बाद मुठभेड़ में मार गिराया और बेसमेंट में रखे गए सभी बच्चे सकुशल रात एक बजे निकाल लिए। बच्चों को बंधन बनाने के बाद आरोपित ने पुलिस टीम पर उसने हमला बोला। बम से उड़ाने की धमकी दी थी। जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया गया। भीड़ ने उसकी पत्नी रूबी को भी जमकर पीटा।
घायल सुभाष बाथम की पत्नी रूबी को बेहोशी की हालत में देर रात लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया था। इमरजेंसी डॉक्टर सर्वेश यादव ने बताया रूबी के गंभीर हेड इंजरी के अलावा शरीर पर तीन चोटें थीं। गंभीर हालत में सुबह छह बजे सैफई के लिए रेफर किया गया था, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि भीड़ के हाथों पिटाई से घायल महिला को बचाने का प्रयास किया गया। उसे फौरन इलाज के लिए भेजा गया, लेकिन अस्पताल में उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम से साफ होगा कि महिला की मौत कैसे हुई है।
अपराधी ने बेटी की बर्थडे पार्टी के बहाने बच्चों को किया था कैद
मौसा की हत्या में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाए 40 वर्षीय सुभाष बाथम ने पुलिस और ग्रामीणों को मजा चखाने के लिए गांव के ही 26 बच्चों को दोपहर 3:30 बजे घर में बंधक बना लिया था। इन्हें सालभर की अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने घर बुलाया था। गांव वाले और पुलिस जब उन्हें छुड़ाने पहुंचे तो फायरिंग की। बम फेंका। इसमें कोतवाल समेत तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। समझाने गए दोस्त को भी उसने गोली मार दी। पूरे देश की सुर्खियां बनने वाली इस खबर का खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पल-पल अपडेट ले रहे थे। गोरखपुर से रात में लौटने के बाद लखनऊ में आपात बैठक बुलाकर बच्चों को सकुशल छुड़ाने के लिए कड़े निर्देश दिए। कानपुर से एटीएस और दिल्ली से एनएसजी के कमांडो भी बुलाए गए थे। ऑपरेशन पूरा होने के बाद एनएसजी को आगरा में ही रोक दिया गया है।
हत्या के आरोप में मिल चुकी उम्रकैद की सजा
वारदात फर्रुखाबाद जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर गांव करथिया में हुई। सुभाष अपने मौसा मेघनाथ की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा पा चुका है। घर में चोरी की शिकायत पर उसने 2001 में मौसा की हत्या की थी। 2005 में उसे उम्रकैद हुई। 10 साल जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट से उसे जमानत मिल गई। करीब तीन महीने पहले एसओजी ने फतेहगढ़ में हुई चोरी के आरोप में उसे जेल भेज दिया। वहां से डेढ़ माह पूर्व जमानत पर छूटा। खुद को फंसाने के शक में उसने पुलिस व ग्रामीणों से बदला लेने की योजना बना डाली।
पुलिस व स्वाट टीम ने घरों की छतों से की घेराबंदी
बेटी के जन्मदिन के बहाने गांव के बच्चे घर बुलाए और सभी को बंधक बना लिया। देर तक बच्चों के घर न लौटने पर पड़ोसी जब सुभाष के घर पहुंचे तो उसने फायरिंग कर दी। उसने चिल्ला-चिल्लाकर गांव वालों पर फंसाने का आरोप लगाया। बच्चों को छुड़ाने पहुंचे कोतवाली प्रभारी राकेश कुमार व यूपी 112 की टीम पर उसने घर के भीतर से बम फेंक दिया। इसमें राकेश कुमार, यूपी-112 के दीवान जयवीर सिंह व सिपाही अनिल कुमार घायल हो गए। पुलिस व स्वाट टीम ने कई घरों की छतों की घेराबंदी कर रखी है। क्षेत्रीय विधायक नागेंद्र सिंह व एसपी डॉ. अनिल कुमार मिश्र ने लाउडस्पीकर से बाहर आने को कहा तो गालियां देने लगा। अंदर से शातिर कह रहा है कि झूठे केस में जेल भिजवाए थे, अब झेलो।
पुलिस उसे काबू में करने में हुई सफल
पुलिस और एटीएस टीम उसकी घेराबंदी कर चुकी थी। रात करीब 11 बजे न जाने क्या हुआ कि सुभाष ने पुलिस को बुलाकर दीवार के छेद से आदेश बाथम की एक साल की बच्ची शबनम को दे दिया। इसके बाद से ही यह आसार बनने लगे थे कि पुलिस ऑपरेशन को जल्द पूरा कर लेगी। हुआ भी यही। कुछ घंटे बाद पुलिस उसे काबू में करने में सफल हो गई। उसे पत्नी रूबी के साथ पकड़कर बाहर लाते ही घर के बाहर जुटी हजारों की भीड़ टूट पड़ी। दोनों की जमकर पिटाई की। पत्नी को गंभीर हाल में अस्पताल भेजा गया है। वहीं, पुलिस उसे बचाने के लिए सुभाष को फिर घर के अंदर ले गई। एडीजी कानपुर जयनारायण सिंह ने बताया कि आरोपी सुभाष ने पुलिस टीम पर हमला किया और बम से उड़ाने की धमकी दी। जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया गया। बाकी बचे 25 बच्चे भी सकुशल निकाल लिए गए हैं।
डीजीपी मुख्यालय से होती रही मानीटरिंग
शातिर अपराधी से निपटने के लिए एटीएस के कमांडो फर्रुखाबाद रवाना किए जाने के साथ ही पूरे मामले की लगातार मानीटरिंग की जा रही थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी ओपी सिंह समेत अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तलब कर बच्चों को सकुशल मुक्त कराने व सिरफिरे को गिरफ्तार कर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। यही नहीं, पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेने के साथ ही उन्होंने स्थानीय पुलिस प्रशासन पर नाराजगी भी जताई थी। एडीजी कानून-व्यवस्था पीवी रामाशास्त्री का कहना है कि फर्रुखाबाद में मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों को बच्चों को सुरक्षित मुक्त कराने के लिए लगातार निर्देश देने के साथ खास रणनीति के तहत पुलिस कदम आगे बढ़ा रही थी, ताकि बच्चों को कोई नुकसान न हो।