प्रॉपर्टी से मिलने वाले किराये को बिजनेस इनकम दिखा अब नहीं हो सकेगी टैक्स चोरी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को पेश किए गए बजट में किराये पर मकान देने वालों के लिए बड़ा ऐलान किया है। मकान मालिकों की तरफ से हो रही टैक्‍स चोरी पर लगाम लगाने के लिए बजट में नियमों को बदल दिया गया है। रेंट पर दिए मकान से होने वाली इनकम को अब मकानमालिक बिजनेस इनकम के रूप में नहीं दिखा सकते हैं।

अगर आप भी अपना मकान किराये पर उठाते हैं और किराये पर इनकम टैक्‍स बचाते हैं तो ये खबर आपके लिए है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को पेश किए गए बजट में किराये पर मकान देने वालों के लिए बड़ा ऐलान किया है। मकान मालिकों की तरफ से हो रही टैक्‍स चोरी पर लगाम लगाने के लिए बजट में नियमों को बदल दिया गया है। बजट के बाद राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में इस पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि किराये से कमाई करने वालों को अब हर हाल में टैक्‍स देना ही होगा।

आपने बताया है कि 70 प्रतिशत करदाता टैक्स की नई व्यवस्था अपना चुके हैं तो फिर पुरानी व्यवस्था की जरूरत क्या है?

जैसा कि वित्त मंत्री ने भी कहा है कि जो पुरानी व्यवस्था है, उसे हम समाप्त नहीं करेंगे, अभी पुरानी टैक्स व्यवस्था जारी रहेगी। लेकिन हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग नई टैक्स प्रणाली को अपनाएं क्योंकि यह सरल है।

इस बार के बजट में टैक्स का दायरा बढ़ाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए, इनकम टैक्स तो लगभग तीन करोड़ लोग ही देते हैं?

बजट के पार्ट बी में हमने टीडीएस, टीसीएस, लग्जरी गुड्स के टैक्स में बदलाव किया है। जो पार्टनर लोग हैं उनकी सैलरी पर टीडीएस का प्रविधान लेकर आए हैं। वैसे ही, अब हाउस प्रॉपर्टी को बिजनेस इनकम नहीं माना जाएगा क्योंकि उसमें टैक्स की चोरी हो रही थी। कुछ लोग क्या करते थे कि वह हाउस प्रॉपर्टी की इनकम को बोलते थे कि यह हमारा बिजनेस है।

एक करोड़ रुपए का मकान खरीदा और उससे किराया आठ लाख रुपए मिले, लेकिन 10 लाख रुपए उसने मकान का डिप्रिसिएशन दिखा दिया और ऐसे करके टैक्स से बच रहे थे। अब उन्हें किराये पर टैक्स देना ही पड़ेगा।

रियल एस्टेट बिक्री में कैपिटल गेन को लेकर इंडेक्सेशन प्रणाली खत्म करने से क्या राजस्व बढ़ेगा?

नहीं। शॉर्ट टर्म व लॉन्‍ग टर्म इक्विटी कैपिटल गेन की दरों में जो बदलाव हुआ है उससे हमें 17,000 करोड़ राजस्व प्राप्ति का अनुमान है।

रियल एस्टेट में इंडेक्सेशन प्रणाली को समाप्त करने से प्रोपर्टी मालिकों को कोई नुकसान नहीं है क्योंकि इस प्रणाली के तहत 20 प्रतिशत का टैक्स था जो अब 12.5 प्रतिशत हो गया।

रियल एस्टेट अमूमन 10-11 प्रतिशत की दर से रिटर्न देता है। कोई पुरानी जगह हो जहां रिटर्न नहीं आ रहा हो तो अलग बात है।

छोटे निवेशक जो बाजार में 5-7 लाख रुपए तक के निवेश से कुछ कमा रहे थे, उन्हें तो इक्विटी के कैपिटल गेन के टैक्स बढ़ने से फर्क पड़ेगा, पहले 10 प्रतिशत लगता था, अब 12.5 प्रतिशत लगेगा?

जो 5-7 लाख रुपए तक बाजार में निवेश करते हैं उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि लॉन्‍ग टर्म के निवेश से होने वाले 1.25 लाख रुपए तक के मुनाफे को टैक्स से मुक्त रखा गया है।

कोई 10 लाख रुपए बाजार में लगाता है और एक साल बाद 11.25 लाख रुपए में उस शेयर को बेच देता है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। देखा जाए तो हर महीने 10,000 रुपए की कमाई को सरकार ने टैक्स मुक्त कर दिया है।

लेकिन एक साल से कम समय में यानी कि शॉर्ट टर्म वाले निवेश से मुनाफे पर तो आपने 20 प्रतिशत का टैक्स लगा दिया?

मेरा मानना है कि शॉर्ट टर्म कोई निवेश नहीं है, शॉर्ट टर्म तो व्यापार है। इसलिए उस पर ज्यादा टैक्स लगना चाहिए।

आप राजकोषीय घाटे को कम कर रहे हैं और चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का 4.9 प्रतिशत का लक्ष्य है, लेकिन जीडीपी के अनुपात में हमारा कर्ज क्यों नहीं कम हो रहा है?

अभी हमारा केंद्रीय कर्ज जीडीपी के अनुपात में 55 प्रतिशत के पास है। अभी हम जीडीपी के अनुपात में राजकोषीय घाटे को कम करने का लक्ष्य रखते हैं, वर्ष 2027 से हम जीडीपी के अनुपात में कर्ज के अनुपात को कम करने का लक्ष्य रखेंगे। क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, इसलिए हमारा राजकोषीय घाटा ज्यादा भी हो सकता है।

इस साल अब तक चार करोड़ लोगों ने ही आईटीआर फाइल किए हैं और इस बार रिफंड मिलने में भी देर हो रही है, पहले सप्ताह भर में रिफंड मिल जाता था?

गत साल 8.5 करोड़ लोगों ने आईटीआर फाइल किए थे। दो दिन पहले तक 4.3 करोड़ लोगों ने रिटर्न फाइल किए हैं और पिछले साल की समान अवधि की तुलना में हम रिटर्न फाइलिंग में आगे हैं। रिफंड देने में हमारा प्रोसेसिंग टाइम हर वर्ष कम हो रहा है। वैसे रिफंड के लिए हमारी समय सीमा अलग है।

रिटर्न फाइल करने की समय सीमा समाप्त होने के बाद इसमें और तेजी आएगी। अभी रिटर्न फाइलिंग का काम चल रहा है और यह पीक समय है। अभी जो फाइल करेगा उन्हें स्वाभाविक रूप से देर से रिफंड मिलेगा, जिन्होंने पहले फाइल कर दिया है उन्हें मिल रहा है। सिटिजन चार्टर का हिसाब से रिफंड के लिए 90 दिन की समय सीमा है।

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