प्रमुख बाजारों की गलियों में पैदल चलना तक मुश्किल आग लग जाए तो नहीं पहुंच सकेंगी दमकल…

दिल्ली की अनाज मंडी में हुए अग्निकांड की घटना ने लोगों को दिल दहला दिया है। अपने शहर में भी तंग गलियों में कई प्रमुख थोक व फुटकर बाजार हैं। यहां पैदल चलना भी मुश्किल होता है। घरों में ही गोदाम और कारखानों का संचालन किया जा रहा है। तमाम भवन ऐसे हैं, जहां आग बुझाने के भी कोई इंतजाम नहीं है। कहीं अगर कोई आग लगने की घटना हो गई तो वहां मौजूद लोगों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। पूर्व में कई बड़े हादसे हो भी चुके हैं। इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन और लोग नहीं चेत रहे हैं।

तंग गलियों में हो रहा बड़े पैमाने पर कारोबार

शहर में बड़े पैमाने पर कपड़ों का जनरलगंज, नौघड़ा व मसालों का नयागंज में कारोबार होता है। यहां की तंग गलियों में दाल मंडी, चावल मंडी, शक्कर पट्टी, कलक्टरंगज तेल मार्केट, गुड़ मंडी का संचालन होता है। वहीं, कई मकानों में लोग इन सब का गोदाम बनाकर भंडारण करते हैं। इन क्षेत्रों में स्थित बाजार की दुकानों या घर में आग लगने पर दमकल की गाड़ी पहुंचना बेहद मश्किल है। कई जगह तो नामुकिन है। ऐसे ही हालात कोपरगंज के हमराज कांम्प्लेक्स, सीसामऊ बाजार, मनीराम बगिया, चमनगंज, बेकनगंज, लालबंगला पर भी हैं। इन स्थानों पर दमकल की गाडिय़ां अंदर तक नहीं जा पाती है।

99 फीसद फैक्ट्री संचालकों के पास फाइनल एनओसी नहीं

शहर में औद्योगिक क्षेत्र दादा नगर, पनकी, फजलगंज, चकेरी में बड़ी संख्या में फैक्ट्रियों का संचालन होता है। अधिकांश के पास महज प्रोवीजन एनओसी (भवन निर्माण के वक्त ली जानी वाली अनापत्ति प्रमाण पत्र) फाइनल एनओसी नहीं ली गई है। घटनाएं होने पर अनियमितताएं सामने आती हैं तो अग्निशमन विभाग नोटिस भेजता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक 70 फीसद भवनों में तो सुरक्षा के मानकों का भी पालन नहीं होता है। बिना मानक पूरे किए ही भवन तान दिए हैं। जिसमें सेट बैक तक की व्यवस्था नहीं की गई है।

ये होने चाहिए मानक

-अपार्टमेंट या बहुमंजिली इमारतों में ऊपर आने जाने के लिए दो सीढिय़ां होनी चाहिए। जो भवन के बाहर से सीधी जुड़ी हों

-भवन में चारो ओर खुला स्थान (सेट बैक) होना अनिवार्य है

-15 से 25 मीटर ऊंची इमारतों में पांच हजार लीटर पानी की टंकी छत पर और 50 हजार लीटर की क्षमता वाला अंडर ग्राउंड वाटर टैंक

-आग लगने पर फायर अलार्म की व्यवस्था

-परिसर या आसपास पानी मुहैया कराने हाईड्रेंट होना चाहिए

-भवन तक अग्निशमन वाहन पहुंचने का सुगम मार्ग

-भवन के सभी कमरों में खिड़किया

-अग्निशमन यंत्रों को चलाने की लिए ट्रेंड कर्मी हों

-समय-समय पर लगे अग्निशमन यंत्रों की जांच

जिले में अग्निशमन की व्यवस्था

फायर स्टेशन वर्किंग : लाटूश रोड, कर्नलगंज, फजलगंज, मीरपुर, घाटमपुर, बिल्हौर व जाजमऊ

निर्माणाधीन : किदवई नगर

-वाटर और फायर टेंडर-16 (हाइड्रोलिक प्लेटफार्म शामिल)

-हाल में ही तीन गाडिय़ां बिल्हौर, लाटूश रोड व घाटमपुर की हुई निष्प्रयोज्य घोषित

– हाई प्रेशर टनल की सात गाडिय़ां आई थीं। मार्च में एक गाड़ी बांदा और दूसरी आजमगढ़ भेजी गई।

-पहले छह मोटरसाइकिल थीं अब सिर्फ चार हैं।

यहां हैं हाईड्रेंट

अरमापुर इस्टेट, इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, इंडियन बॉटङ्क्षलग प्लांट, हरिहरनाथ धाम पानी की टंकी, जेके प्रथम में पानी की टंकी, ग्रीनपार्क के अलावा डेढ़ दर्जन निजी संस्थानों में भी हाईड्रेंट हैं।

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