प्रदूषण और बढ़ती ठंड के बीच दिवाली के बाद कोरोना के दूसरी लहर की आशंका : BMK के डॉ. अश्वनी मिश्रा

दिवाली के दौरान ज्यादा प्रदूषण और बढ़ती ठंड के बीच कोरोना ज्यादा खतरनाक हो सकता है। ऐसे लोग जो कोरोना से जंग जीत चुके हैं उन्हें ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। डॉक्टरों का मानना है कि जिनके फेफड़े कोरोना से प्रभावित हुए हैं, उन पर दोहरा वार हो सकता है। ऐसे में कोविड से मौतें भी बढ़ सकती हैं। बचाव के लिए डॉक्टर मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक वैक्सीन नहीं, जब तक मास्क को ही कोरोना की सबसे बड़ी दवाई समझें।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चेस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा के मुताबिक वायरस का हवा में ज्यादा देर ठहरने का मतलब ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में दिवाली के बाद कोरोना के दूसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। पहले से कोरोना की चपेट में आ चुके लोगों के लिए यह ज्यादा खतरनाक साबित होगा। खासकर ऐसे लोगों को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है जिनके फेफड़ों पर वायरस का ज्यादा असर हुआ है।

बताया कि जिले में करीब 70 प्रतिशत से अधिक लोग है, जिनके फेफड़ें पर कोरोना का असर हुआ है। इसके अलावा सांस के मरीजों को भी दोबारा संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है।

आईसीएमआर के प्लानिंग कोर्डिनेटर व आरएमआरसी के निदेशक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि अधिक समय तक वायु प्रदूषण का सामना करने से कोरोना से मौत के मामले बढ़ सकते हैं। अमेरिका, यूरोप जैसे देशों में इस पर शोध हुए है। ऐसे में कोरोना से बचाव के सभी दिशा निर्देशों का पालन ही एकमात्र विकल्प है। 

शहर का मौजूदा वायु गुणवत्ता सूचकांक 150 है। मानकों के अनुसार सेहतमंद हवा का एक्सयूआई 50 होना चाहिए। जैसे-जैसे तापमान में गिरावट आएगी वैसे-वैसे प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा। इससे हवा जहरीली होगी। प्रदूषण बढ़ने के कारण धूल के कण कम ऊंचाई पर आ जाएंगे।

इसकी वजह से वायरस ज्यादा देर तक ठहरेगा। अभी शहर का न्यूनतम तापमान 22 डिग्री के आसपास है। दिवाली तक जैसे-जैसे तापमान गिरेगा, हवा का फैलाव कम होगा। इसके चलते भी वायरस का असर बढ़ सकता है। 

डॉ अश्वनी मिश्रा ने बताया कि कोरोना का असर फेफड़ों पर ज्यादा होता है। करीब 50 प्रतिशत मरीजों के ठीक होने के बाद भी फेफड़ों में पैच दिख रहे हैं। कुछ मरीजों में पल्मोनरी फ्राइब्रोसिस की समस्या है। इससे फेफड़ों का एक हिस्सा काम नहीं करता है। मरीजों को जल्दी-जल्दी सांस लेनी पड़ती है। ऐसे मरीजों को ठंड और प्रदूषण दोनों से बचने की जरूरत है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com