जब राजा दक्ष ने विश्व के कल्याण के लिए विशाल यज्ञ का आयोजन किया और वहां भगवान शिव और देवी सती भी थी लेकिन शिव जी ने दक्ष को प्रणाम नहीं किया था और उस वजह से दक्ष क्रोधित हो गए थे और उन्होंने भगवान शिव को श्राप दे दिया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें किसी भी यज्ञ का कोई भाग नहीं मिलेगा.

दुनियाभर में भोलेनाथ के कई भक्त हैं जो उन्हें खूब मानते हैं. ऐसे में भोलेबाबा को भोलेनाथ इस वजह से कहते हैं क्योंकि वह सभी की मनोकामना जल्द पूरी कर देते हैं. ऐसे में आप सभी यह भी जानते ही होंगे कि पौराणिक कथा में भी शिव भगवान के कई चमत्कारों का जिक्र है. 
वहीं भगवान शिव के साथ हुई इस घटना से क्रोधित होकर नंदी ने दक्ष को बकरे के सामान शरीर हो जाने का श्राप दे दिया था और इसी के साथ उन्होंने वहां उपस्थित सभी ब्राह्मणों को श्राप दे दिया की सभी ब्राम्हण वृद्ध होते ही अपना समस्त ज्ञान भूल जायेंगे और शेष जीवन दरिद्रता में ही बिताएंगे. इस श्राप को सुनकर भृगु ऋषि भी क्रोधित हो गये और उन्होंने सभी शिव भक्तों को श्राप दे दिया था कि जो भी शिव जी की पूजा या व्रत करेगा वो शास्त्रों के विरुद्ध होंगे और उन्हें भस्म लगाकर, जटा धारण करना होगा.
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इस घटना के बाद नन्दी के श्राप से क्रोधित हो भृगु ऋषि ने भी समस्त शिव भक्तों को श्राप दिया कि जो कोई भी शिवजी का व्रत तथा पूजन करेगा, वे सभी वेद-शास्त्रों से विपरीत चलेंगे और जटा धारण कर भस्म मलकर शिव के साधक बनेंगे. वहीं उन्होंने कहा था कि वह मदिरा, मांस खाने वाले होंगे और उनका निवास स्थान श्मशान होगा. इसी कारण अघोरियों को श्मशान में देखा जाता है.
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