पूर्वी जिले के DM अरुण कुमार मिश्रा का कहना है, दिल्ली में इस बार बाढ़ की आशंका नहीं

दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ने लगा है। ऐसे में यमुना खादर में रहने वाले लोगों को जगह खाली करनी पड़ सकती है। इस कोरोना काल में प्रशासन के लिए उन लोगों के रहने का इंतजाम करने के साथ ही बाढ़ से निपटना चुनौतीपूर्ण होगा। बाढ़ को लेकर प्रशासन की क्या तैयारी है, इसे लेकर शुजाउद्दीन ने पूर्वी जिले के जिलाधिकारी अरुण कुमार मिश्रा से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश :

बाढ़ को लेकर प्रशासन की क्या तैयारी है?

बाढ़ को लेकर पूर्वी जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर व्यापक तैयारी की हुई है। गीता कॉलोनी स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने कंट्रोल रूम बनाया हुआ है, यह 24 घंटे संचालित होता है। कोई भी व्यक्ति कंट्रोल रूम के नंबर पर फोन करके यमुना के पानी में फंसे होने की सूचना देने के साथ ही जलस्तर से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकता है। यमुना में जगह-जगह 14 मोटर बोट तैनात की गई हैं, 60 के करीब तैराकों की टीम बनाई गई है। संबंधित सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें हो रही हैं। जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की भी मदद ली जाती है।

गत वर्ष हरियाणा की ओर से लाखों क्यूसेक पानी बिना सूचना दिए यमुना में छोड़ा गया था, क्या इस बार भी ऐसा हो रहा है?

बड़ी से बड़ी परेशानी को आपसी तालमेल से दूर किया जा सकता है। मैं आपसी समन्वय में विश्वास रखता हूं। मुझे जानकारी नहीं है कि पिछले वर्ष क्या हुआ। प्रशासन के अधिकारी हरियाणा के अधिकारियों के संपर्क में हैं कितना पानी हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा जा रहा है, इसकी सूचना लगातार मिल रही है।

दिल्ली में बाढ़ की क्या स्थिति है?

दिल्ली में अभी तक बाढ़ की कोई स्थिति नहीं है। इस बार हरियाणा से हजार क्यूसेक की मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर तक भी नहीं पहुंचा है। उम्मीद यही की जा रही है कि इस बार दिल्ली में बाढ़ की स्थिति नहीं बनेगी।

पिछले वर्ष बाढ़ के पानी में डूबने से दो लोगों की मौत हो गई थी, इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कितनी तैयारी है?

प्रशासन हर एक चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। निगम, पुलिस सहित अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ बैठकें हो रही हैं। लोगों की मौत कैसे और किस परिस्थिति में हुई, इसका पता नहीं। यमुना का जलस्तर बढ़ने पर खादर में पानी भर जाता है, उससे पहले ही खादर के इलाके में रहने वालों को वहां से हटा दिया जाता है। पुलिस के साथ ही सिविल डिफेंस वालंटियर तैनात कर दिए जाते हैं, ताकि किसी तरह की अनहोनी न होने पाए। खादर में बड़ी संख्या में लोग रहते हैं।

जलस्तर बढ़ने पर कोरोना संक्रमण को देखते हुए उनके लिए किस तरह की व्यवस्था की जाएगी?

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए कुछ नियम बनाए हुए हैं। बाढ़ के अगर हालात बनते हैं तो खादर इलाके को पूरी तरह से खाली करवाया जाएगा। पहले उन्हें सड़क या खाली जगह टेंट लगाकर रखा जाता था। इस बार कोरोना ने अपना कहर बरपाया हुआ है, इसलिए प्रशासन ने बाढ़ से पहले ही स्कूल और समुदाय भवन को चिह्नित कर लिया है। जरूरत पड़ने पर खादर में रहने वालों को अस्थायी तौर पर यहां रखा जाएगा, ताकि शारीरिक दूरी का पालन हो सके। प्रशासन की ओर से ऐसे लोगों को खाने व स्वास्थ्य की सुविधाएं भी दी जाएंगी।

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