जम्मू कशमीर के पुलवामा मे हुए आतंकवादी हमले के बाद से पूरे देश मे गम का माहौल हैं। लेकिन इस बीच भी कुछ लोग नफरत फैलाने से बाज़ नहीं आ रहे है। इस आतंकवादी हमले के बहाने वह मुसलमानों और कशमीरियो पर निशाना साध रहे हैं। लेकिन आप को बता दें कि हमले मे शही द हुए जवानों मे एक शहीद जवान मुसलमान भी है।इनका नाम नसीर अहमद है । नसीर अहमद सीआरपीएफ़ की 76वीं वाहिनी में तैनात थे और 13 फरबरी 2019 को उनका 46वां जन्मदिन था।लेकिन अगले ही दिन नसीर अपने ड्यूटी पर लौट गए।
सेना के जवान अपने काम को लेकर कितने तत्पर रहते हैं ताकि देश के लोग चैन शांति से रह सके,इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि नसीर की तबीयत उस दिन पूरी तरह ठीक नहीं थी लेकिन फिर भी वह डयूटी पर लौट आये।उनके भाई ने उन्हें फ़ोन कर के कहा भी था कि एक दिन का छुट्टी ले लो पर नसीर ने उनकी बात न मानकर अपने फ़र्ज़ को तरजीह दी।
नसीर अहमद पिछले 22 साल से देश की सेवा कर रहे थे। जिस बस को आत्मघाती हमले का निशाना बनाया गया था, नसीर अहमद उसके कमांडर के तौर पर तैनात किए गए थे। वक़़्त ने ऐसी चाल चली कि उनका यह सफर आखिरी सफ़र साबित हुआ।आप को बता दें कि शही द नसीर अहमद अपने परिवार के साथ जम्मू में रहते थे।
उनके बच्चे जम्मू में ही स्कूल में पढ़ाई करते हैं। अभी तक शहीद नसीर के बच्चों को बताया नही गया है कि उनके पिता अब दुनिया मे नही रहे। उनके परिवार मे उनकी पत्नी शाजिया और उनके दो बच्चें काशिफ और फलक हैं। नसीर अहमद के माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था। उनका लालण पोषण उनके बड़े भाई सिराजुद्दीन ने किया था। सिराजुद्दीन ख़ुद भी एक पुलिसकर्मी हैं। वह नही चाहते थे कि नसीर सेना मे जाए लेकिन बचपन से ही नसीर के दिल में देशभक्ति की भावना थीं,जिसे पूरा करने के लिए वह बड़े हो कर सेना में ही भर्ती हुए।