रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा पर देश की ही नहीं, बल्कि चीन और पाकिस्तान समेत दुनिया की नजरें हैं। आप जानते हैं क्यों। आइए, हम आपको बताते हैं वह खास वजह, जिसके चलते हमारे पड़ोसी मुल्कों की नजर इस यात्रा पर टिकी है। दरअसल, इस यात्रा के दौरान दोनों देशाें के बीच एस – 400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली सौदे पर करार होेना है। यह करार पांच अरब डॉलर की राशि से ज्यादा का होगा।
अगर यह सौदा हुआ तो देश की प्रतिरक्षा कवच और सुदृढ़ और अभेद्य हो जाएगी। इससे कहीं न कहीं पड़ोसी मुल्क कमजोर होंगे। इसके अलावा पुतिन अपनी भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। दोनों नेता ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के मद्देनजर कच्चे तेल की स्थिति समेत विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं।
आइए जानते हैं कि अगर सेना के बेड़े में एस 400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हुआ तो इसके क्या दूरगामी परिणाम होंगे। हमारी रक्षा प्रणाली कितनी मजबूत होगी। यह कैसे काम करेगा। जी हां, इस डिफेंस सिस्टम से भारत की सुरक्षा निगरानी बेहद मजूबत हो जाएगी। भारतीय सेना दुश्मन की हर गतिविधियों पर पैनी नजर रख सकेगी। इसका अंजदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महज तीन एस 400 ट्रायम्स से पाकिस्तान के चप्पे-चप्पे पर सेना के जवान नजर रख सकेंगे। इसकी सूचना से पाकिस्तान के हर हमले को प्रहार के पूर्व ही विफल किया जा सकता है। उसके लड़ाकू विमानों और ड्रोन्स को आसानी को आसानी से गिराया जा सकता है।
इस रक्षा सस्टिम की खूबियां
1- एक साथ 100 से 300 लक्ष्यों को ट्रैक करने में कुशल
दरअसल, एस-400 लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला एक मिसाइल सिस्टम है, जिसे रूस ने बनाया है। ये एस-300 का अपडेटेड वर्जन है। अपनी खूबियों के कारण ही इस सिस्टम पर चीन अौर पाकिस्तान की नजर है। यह रक्षा प्रणाली बेहत संवदेनशील और उच्च क्षमता वाले रडार से युक्त है। इसलिए इसकी निगरानी क्षमता बेजोड़ है। यह रडार दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखने में सक्षम है। यह एक साथ 100 से 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। यानी एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल एक साथ 100 हवाई खतरों को भांप सकता है और अमेरिका निर्मित एफ-35 जैसे 6 लड़ाकू विमानों को दाग सकता है।
यह सिस्टम मोबाइल कमांड सेंटर से लैस है। इसके चलते कमांड पोस्ट पर तैनात हथियार परिचालक अपने साथी सुरक्षाकर्मी से वार्ता कर सकते हैं। इसका फायर कंट्रोल रडार तत्काल फैसला लेने में मददगार होता है। लक्ष्य सुनिश्चित होने पर कमांड सेंटर फायर कंट्रोल रडार को मिसाइल लांच करने के आदेश देता है। इसकी रफ्तार 17000 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस मिसाइल की रफ्तार वर्तमान में मौजूदा किसी भी विमान से ज्यादा है।
2- 600 किलोमीटर तक निगरानी रखने में सक्षम उपकरण
सतह से आकाश में यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपना लक्ष्य भेदने में सक्षम है। मिसाइल दागने की क्षमता में एस 400 ट्रायम्फ बाकी रक्षा प्रणाली से ढाई गुना अधिक है। सतह से एस 400 ट्रायम्फ करीब 600 किलोमीटर तक निगरानी कर सकता है। 400 किलोमीटर दूर से यह दुश्मन के मिसाइल को मार गिराने की क्षमता रखता है। यह दुश्मन के लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल और ड्रोन्स को नष्ट करने में पूरी तरह से सक्षम है। यानी 400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर यह हमला कर सकता है
3- मस्ट में एक साथ 72 मिसाइलें एक साथ
प्रत्येक एस 400 ट्रायम्फ में आठ मिसाइल लांचर होते हैं। इससे 400 मिसाइलों को लांच किया जा सकता है। इसमें एक कमांड सेंटर और उच्च क्षमता वाला रडार होता है। यह मस्ट युक्त होता है। इस मस्ट में 72 मिसाइलें आ सकती है।
भारत की मिसाइल डिफेंस क्षमता
भारतीय सेना के पास तीन प्रकार की मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। पहला- स्पाइडर, इसकी क्षमता 15 किलोमीटर है। इसकी प्रहार क्षमता 15 किमी है। यह दुश्मन की हरकतों पर नजर रख सकता है। सेना ने 1800 स्पाइडर का आर्डर दिया है। दूसरा, आकाश है। इसकी क्षमता स्पाइडर से अधिक है। यह 25 किलोमीटर दूर तक दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखने में सक्षम है। तीसरा, बराक है। यह 25 किलोमीटर तक दुश्मन की सभी गतिविधियों पर निगरानी कर उनके मंसूबों को नष्ट कर सकता है। यह पांच मिनट के भीतर मिसाइल की फायरिंग को रोकने में सक्षम है।
चीन और तुर्की के बाद भारत डील करने वाला तीसरा देश
चीन और तुर्की के बाद रूस के साथ एस-400 डील करने वाला भारत तीसरा मुल्क है। यानी भारत दुनिया का तीसरा मुल्क बन गया है जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम मौजूद होगा। सऊदी अरब के साथ भी इस मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर बात चल रही है।