मध्य प्रदेश के धार जिले के मनावर के मेला मैदान स्थित ‘पुण्य की दीवार’ पर लिखा है कि ‘आवश्यकता से अधिक सामान जिसके पास हो, यहां छोड़ जाए, जिसे आवश्यकता है, यहां से ले जाए..।’ एक बेटा यहां 90 साल की मां को छोड़ गया। वहीं, घर से निकालने पर 70 साल का एक बुजुर्ग भी इसी स्थान पर रह रहा है। इन दोनों बुजुर्गों को छह माह से रहवासी सहारा दे रहे हैं।
90 साल की केशरबाई उर्फ कस्तूरीबाई ने बताया कि पिता के निधन के बाद ग्राम लोणी निवासी भाइयों ने भानपुरा दसाई निवासी बेचरिया से शादी कर दी। चार पुत्र हुए। इसके बाद पति ने बजट्टा निवासी छगन को बेच दिया। दोनों पति नशे के आदी थे। इसके चलते दोनों की मौत हो गई। फसल बिगड़ने पर कर्ज के चलते मकान बेचना पड़ा, जबकि खेती पर देवर के लड़के ने कब्जा कर लिया। चार पुत्रों में से तीन की मौत हो चुकी है। चौथे पुत्र दयाराम और बहू गीता देवास के पास मजदूरी करते हैं।
दस साल पहले बेटा-बहू ने बोझ मानते हुए घर से निकालकर मेरे भाई के पास लोणी छोड़ दिया, लेकिन उसने भी नहीं अपनाया। पांच वर्ष तक ग्राम लोणी के बाहर रही। भाई की मौत के बाद पांच साल खुले में दिन बिताए। इसके बाद छह माह पूर्व एक दिन बेटा आया और मुझे यहां छोड़ गया। 150 रुपये प्रति माह सरकार की ओर से मिलते थे। कई बरसों से वे भी बंद हो गए। अब यहां रहवासियों के सहारे हूं।
पांच बेटे, लेकिन रहना पड़ रहा दीवार के सहारे
पुण्य की दीवार में रह रहे ग्राम राजनतलाई निवासी कुष्ठ रोग से पीड़ित 70 साल के बोंदर पिता धन्ना की एक आंख खराब हो चुकी है और सुनाई भी नहीं देता है। उनके पांच पुत्र हैं। बुजुर्ग ने बताया कि पुत्र शराब पीकर रोज मारपीट करते थे। चार माह पहले घर से निकाल दिया तो पुण्य की दीवार पर आकर रहने लगा।
फिलहाल मैं बाहर हूं। दोनों बुजुर्गो की पात्रता होगी तो पेंशन शुरू कर दी जाएगी। साथ ही शासन की वृद्धजनों के लिए जो योजना है, उसका लाभ दिलवाया जाएगा। नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी।