पीपल के पत्तों से बनाया ताजिया, मोहर्रम पर हिंदू देंगे कंधा निभाएंगे भाईचारा..
September 21, 2018
Main Slide, राष्ट्रीय
मध्य प्रदेश के महू के पीपल के पत्ते के ताजिये की कहानी वर्षों पुरानी है। सबसे प्रमुख इस ताजिये के बिना महू में मोहर्रम की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। इसे बनाने व निकालने में पांचवीं पीढ़ी पूरी शिद्दत के साथ परंपरा को निभा रही है। ये ताजिया गैस बत्ती की रोशनी में निकाला जाता है। शहर के सारे ताजिये इसके पीछे चलते हैं। इस ताजिये के निर्माण पर 15 वर्ष पूर्व तीन हजार रुपये का खर्च आता था, जो आज बढ़कर तीस हजार रुपये तक पहुंच गया है। सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक इस तजिये को आज भी सबसे पहले हिंदू परिवार कंधा देता है।
2018-09-21
शहर में मोहर्रम पर निकलने वाले पीपल के पत्ते के ताजिये का इतिहास भी रोचक व पुराना है। हरि फाटक निवासी नौशाद शाह व उनका परिवार हर वर्ष इस ताजिये को बिना किसी सरकारी आर्थिक मदद के बनाता है। नौशाद शाह की पांचवीं पीढ़ी है, जो इस ताजिये को बना रही है। इसके पूर्व उनके गुलबहार अली शाह, करामत अल्लादिया शाह, दादा गनी शाह व पिता अजीज शाह इस ताजिये को बनाते थे। नौशाद शाह ने बताया कि करीब 15 वर्ष पूर्व उन्होंने इस परंपरा को अपने हाथों में लिया था, तब से अब तक इसका खर्च दस गुना बढ़ गया है।