लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) व डिग्री कॉलेजों में परास्नातक (पीजी) कोर्सेज की सेमेस्टर परीक्षा की एक-एक कापी को तीन-तीन परीक्षक मिलकर जांचेंगे। इसका मकसद मूल्यांकन व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाना है। नए सत्र से पीजी सेमेस्टर परीक्षा की कापियों के मूल्यांकन में यह बड़ा बदलाव किया जाएगा। इसके साथ ही अब परीक्षा प्रणाली में चरणबद्ध ढंग से बदलाव किए जाएंगे।
लविवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि पीजी सेमेस्टर परीक्षा की कापियों के मूल्यांकन में विद्यार्थी किसी भी तरह का सवाल न उठाएं इसके लिए यह प्रयोग किया जा रहा है। एक ही कापी को तीन-तीन परीक्षक जांचेंगे तो निश्चित तौर पर गड़बड़ी होने की गुंजाइश नहीं रहेगी और मूल्यांकन के प्रति जवाबदेही भी तय होगी। केंद्रीय मूल्यांकन की व्यवस्था होने के कारण कापी भी समय पर जांची जा सकेंगी। फिलहाल परीक्षा की कापियों की कोडिंग की व्यवस्था पहले ही लागू की जा चुकी है और कापियों का मुख्य पृष्ठ ओएमआर बेस्ड होने के कारण मूल्यांकन के बाद रिजल्ट तैयार करना आसान हो गया है। प्रो. एसपी सिंह के मुताबिक स्नातक में पूरी तरह सेमेस्टर प्रणाली लागू की जा चुकी है। ऐसे में अब इसमें एक सेमेस्टर की परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित और दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा लिखित होगी। फिलहाल अब परीक्षा प्रणाली में चरणबद्ध ढंग से बदलाव किए जा रहे हैं और आगे आने वाले समय पर पूरी व्यवस्था फूलप्रूफ होगी। मूल्यांकन के प्रति विद्यार्थियों का भरोसा और बढ़ेगा। जो कि शिक्षा के लिहाज से बहुत जरूरी है। इससे कॉपी जांचने की प्रक्रिया पर भी भरोसा बढ़ेगा।
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