नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले का दौर जारी है। इस बार पत्रकार बरखा दत्त ने निशाना साधा है। वॉशिंगटन पोस्ट में एक लेख के जरिए बरखा दत्त ने कहा है कि पीएम मोदी ने भारत को 1970 के दशक में पहुंचा दिया है।
बरखा दत्त के मुताबिक, बीजेपी के मार्केटिंग कंसलटेंट सुनील अलघ ने कहा, भारत में कुछ ज्यादा ही डेमॉक्रेसी है, इसलिए मुश्किल फैसले लेना आसान नहीं। उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले पर आया था।
पत्रकार बरखा दत्त ने सामने रखी देश की तस्वीर
पीएम मोदी पर तीखा हमला करते हुए लिखा कि, ‘हमें सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री ली कुआन जैसा कोई शख्स चाहिए, जिनकी चर्चा होती रहती है। आठ नवंबर को जब अमेरिका में चुनाव हो रहे थे, तो भारत अपनी समस्याओं में उलझा था। ऐसे देश में जहां करीब 90 प्रतिशत ट्रांजेक्शंस कैश में होती हैं, वहां सिर्फ 4 घंटे पहले 500 और 1000 रुपये के नोट अमान्य करने की सूचना दे दी गई। इसका मकसद था कालाधन खत्म करना। लेकिन खराब संपर्क और प्लानिंग के कारण लोगों को लंबी कतारों में लगना पड़ा’।
पत्रकार बरखा दत्त आगे लिखती हैं कि, चारों तरफ हाहाकार की स्थिति थी। एटीएम से दो हजार के नोट निकल रहे थे, बैंक में पर्याप्त पैसा नहीं था। दिहाड़ी मजदूरों के पास खाने के भी पैसे नहीं थे। यह उस संदर्भ की ओर भी इशारा कर रहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सिर्फ एक बार ही आपातकाल लगाया गया था।
बरखा लिखती हैं, नरेंद्र मोदी का नोटबंदी फैसला और केंद्र के पास सारी ताकत कई मायनों में 1970 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसलों की याद दिलाता है। नरेंद्र मोदी का यह नोटबंदी का फैसला 1969 में इंदिरा द्वारा बैंकों के राष्ट्रीयकरण के जैसा ही है। मोदी ने नए साल की पूर्व संध्या पर जो भाषण दिया था, उसमें कुछ नारे इंदिरा के 1971 में दिए गए नारों जैसा था। उस समय इंदिरा ने कहा था, वह कहते हैं इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने कहा, वह कहते हैं मोदी को हटाओ, मैं कहता हूं भ्रष्टाचार हटाओ।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी से जो लक्ष्य हासिल किया जाना था वह तो अब साफ नहीं हुआ। अगर मसकद सिस्टम से काला धन हटाना था तो वह भी नहीं हुआ। सिर्फ 6 से 10 प्रतिशत पैसा ही काले धन के रूप में सामने आया। दूसरी चीज सारे बंद हुए नोट वापस सिस्टम में आ गए। बरखा कहती हैं कि नोटबंदी को लेकर कोई आंदोलन या हिंसा इसलिए नहीं हुई क्योंकि इसके पीछे नरेंद्र मोदी का सशक्त मैनेजमेंट और राजनीतिक संदेश था। इसे भ्रष्टाचार, काले धन और आतंकवाद से लड़ाई बताकर उन्होंने इसे देशभक्ति के एक परीक्षण में बदल दिया।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal