पूर्वजों की मोक्ष एवं शांति की कामना का पर्व पितृ-पक्ष आरंभ हो चुका है। मृत्यु के बाद मनुष्य का एक ही संस्कार बचता है जिसे पितृ पक्ष के रूप में पूरा किया जाता है। इसलिए हर व्यक्ति के लिए पितृ पक्ष के दौरान तर्पण, ब्राह्मण भोजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान अनिवार्य बताए गए हैं।
पितृ पक्ष में हम शुरू से सुनते-देखते आए हैं कि श्राद्ध वाले दिन घर में खीर-पूरी (विशेषरूप से खीर) अवश्य बनती है। प्रश्न उठता है कि खीर ही क्यों?
‘खीर को पकवान में श्रेष्ठ माना गया है। पकवान यानी पका हुआ। खीर देवताओं का बड़ा प्रिय भोजन है, क्योंकि इसमें मिठास है।’
वहीं’खीर-पूरी से श्राद्ध करना सदियों से चली आ रही परंपरा है। पहले लोगों को खीर-पूरी बहुत पसंद थी। दूध और चावल सहज उपलब्ध होते हैं। सबसे अहम तो यह है कि भोजन स्वादिष्ट और सात्विक हो। वही भोजन उत्तम है जिससे ब्राह्मण संतुष्ट हो जाए।’
इसी तरह’दुग्ध को अमृत माना गया है। वर्षा ऋतु की समाप्ति पर जब शरद ऋतु का आगमन हो रहा होता है, तब श्राद्ध पक्ष आते हैं। इस ऋतु परिवर्तन में दुध और चावल का मिश्रण वैज्ञानिक दृष्टि से भी उत्तम है। खीर भगवान को भी प्रिय थी और इससे पितरों की तृप्ति होती है। हम कई बार आहूति भी खीर की देते हैं।’
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