इकोनॉमी की रफ्तार में सुस्ती की चर्चा भले ही पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में हो गई हो, लेकिन यह वर्ष नौकरियों के मामले में खराब नहीं रहा। इस अवधि में नौकरियों में छह परसेंट की वृद्धि दर्ज की गई। इनमें 75 परसेंट नौकरियां आइटी सेक्टर से संबंधित रहीं।

इन कंपनियों में नौकरियों के मामले में चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भी रफ्तार तेज बनी रही।वित्त वर्ष 2018-19 में नौकरियों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए सीएलएसए ने देश की 241 लिस्टेड कंपनियों का सर्वे किया। ये सभी कंपनियों में कुल 45 लाख नौकरियां उपलब्ध कराती हैं।
वित्त वर्ष में इन कंपनियों में नौकरियों में छह परसेंट की वृद्धि हाल के कुछ वर्षो में सर्वाधिक है। इन कंपनियों ने करीब ढाई लाख नई नौकरियां इस अवधि में जोड़ीं। इस दौरान आमतौर पर प्रति कर्मचारी लागत में चार परसेंट की बढ़ोतरी हुई। एजेंसी ने अपने सर्वे के आधार पर कहा है कि जहां तक बड़े कॉरपोरेट सेक्टर का सवाल है वित्त वर्ष 2018-19 में नई नौकरियों की स्थिति संतोषजनक रही।
कुल कंपनियों की संख्या में से अधिकांश काम आउटसोर्सिग पर काम कराने वाली तीन कंपनियों को निकाल दें तो शेष 238 कंपनियों में नौकरियों के अवसरों में 4.1 परसेंट की बढ़ोतरी हुई। यह साल 2017-18 के 1.4 फीसद की वृद्धि से काफी अधिक है और बीते तीन साल का सर्वाधिक है। 2018-19 में करीब ढाई लाख नई नौकरियों के अवसर बने।
कुल 241 कंपनियों में जितनी नौकरियां बनीं उनमें 80 परसेंट नौकरियां आइटी सेक्टर से आई। अर्थात यदि पांच नौकरियां बनी तो उनमें से चार आईटी सेक्टर और आउटसोर्सिग कंपनी से थीं।
इस अवधि में आइटी सेक्टर में नौकरियों के अवसरों में वृद्धि की दर नौ परसेंट रही। साल 2017-18 में यह दर फ्लैट रही थी। इसके विपरीत एनबीएफसी सेक्टर में नौकरियों की वृद्धि दर 13 परसेंट रही।
इस सेक्टर में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली लिस्टेड कंपनियों में बजाज फाइनेंस और एचडीएफसी रहीं। बीते वित्त वर्ष में नौकरियों के जितने अवसर बने उनमें अधिकांश केवल वित्तीय और आइटी सेक्टर से आई हैं। वित्तीय सेक्टर में 28 परसेंट या करीब 13 लाख लोगों को नौकरियां मिलीं। वित्तीय सेक्टर में भी सरकारी कंपनियों ने 60 परसेंट नौकरियां दीं।
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