पान के एक पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास है.देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया था. यही वजह है कि पूजा में पान के पत्ते के इस्तेमाल का विशेष महत्व है.
1-पूजा में इस्तेमाल होने वाला पान का पत्ता हमेशा सही सलामत रूप में, चमकदार और कहीं से भी सूखा नहीं होना चाहिए. नहीं तो इससे व्यक्ति की पूजा साकार नहीं होती.
2-पान के पत्ते के ठीक ऊपरी हिस्से पर इन्द्र एवं शुक्र देव विराजमान हैं. मध्य हिस्से में सरस्वती मां का वास है, तथा मां महालक्ष्मी जी इस पत्ते के बिलकुल नीचे वाले हिस्से पर बैठी हैं, जो अंत में तिकोना आकार लेता है.
3-इसके अलावा ज्येष्ठा लक्ष्मी पान के पत्ते के जुड़े हुए भाग पर बैठी हैं. यह वह भाग है जो पत्ते के दो हिस्सों को एक नली से जोड़ता है. विश्व के पालनहार भगवान शिव पान के पत्ते के भीतर वास करते हैं. भगवान शिव एवं कामदेव जी का स्थान इस पत्ते के बाहरी हिस्से पर है.
4-केवल एक ही पत्ते में संसार के सम्पूर्ण देवी-देवताओं का वास होने के कारण इसे पूजा सामग्री में इस्तेमाल किया जाता है. किंतु पूजा सामग्री के लिए पान के पत्ते का चयन करने के लिए व्यक्ति को बेहद सावधान रहना चाहिए.
5-ऐसी मान्यता है कि यदि आप किसी अच्छे काम के लिए रविवार को घर से निकल रहे हों तो, पान का पत्ता साथ रखकर घर से बाहर कदम रखना चाहिए. यह व्यक्ति के सभी रुके हुए कार्यों को सम्पन्न करने में उपयोगी साबित होता है.
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