पाकिस्तान को खत्म करने की जरूरत नहीं है, वह तो खुद ही खत्म हो रहा है। पड़ोसी देशों से आर्थिक सहायता मिलना बंद हो गई है, यह सभी को पता है और वह धीरे-धीरे मर रहा है। हर युद्ध का जवाब गोली से देना मुनासिब नहीं है। अब जरूरत केवल इतनी है कि पाकिस्तान का नामोनिशान मिटाना है तो सूचना युद्ध का इस्तेमाल करना होगा। उसके दिमाग पर चोट करना होगी। आर्थिक रूप से वह वैसे भी कमजोर है, इसलिए उसे मानसिक रूप से मारने के लिए व्हाट्सएप व अन्य सोशल साइट का इस्तेमाल देशप्रेम के लिए करें।
यह बात नईदुनिया ‘संवाद’ कार्यक्रम में आए विचारकों-विशेषज्ञों ने कही। शुक्रवार को यह आयोजन कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए 44 सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया। इसमें इस बात पर भी विचार किया गया कि इस तरह के हमले रोकने के लिए देश को और क्या सख्त कदम उठाना होंगे, वहीं कश्मीर में भारत व देशप्रेमियों के लिए घृणा को कैसे रोका जा सकता है। इस मौके पर शहर में रह रहे सेना के उच्च पदों से रिटायर हुए जवानों के अलावा समाज के जनप्रतिनिधि सहित डॉक्टर और कॉलेज प्रोफेसरों को भी शामिल किया गया। कार्यक्रम में सभी ने विचार व्यक्त किए। अंत में सभी शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
अभी यह होता है कि दुर्घटना हो जाती है और एजेंसियां बाद में पहुंचती हैं लेकिन संभावना पर देश नहीं चलता, इसलिए जानकारी पुख्ता मिले और हम घटना होने के पहले पहुंचें। आर्मी के लिए किसी को मारना बड़ी बात नहीं है, हमें अनुमति मिले तो हम कभी गोली चलाने में पीछे नहीं रहते, लेकिन गोली चलाने के बाद सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा तो हम भी बचना शुरू कर देंगे। पाकिस्तान का नाम खत्म हो रहा है, इसलिए वह जानबूझकर उलझ रहा है कि किसी भी तरह उसे झगड़े-फसाद के बहाने ही सही मदद मिलती रहे।
कश्मीर में बेरोजगारी का फायदा उठा रहे आतंकवादी
-डॉ निशा सिद्दीकी, सहायक प्राध्यापक डीएवीवी
देश में पार्टियां केवल एक ही मुद्दे को लेकर राजनीति में आती हैं कि वे आर्टिकल 370 हटाएंगी। वे पांच सालों तक इस मुद्दे पर राजनीति करती हैं और फिर चुनाव लड़ती हैं, लेकिन धारा वैसी की वैसी है। राजनीतिक पार्टियां नहीं चाहतीं कि यह मुद्दा खत्म हो।
देश को उदारता कम करना होगी
हमें इतना भी उदार नहीं होना चाहिए कि 80 फीसदी पानी हम पाकिस्तान को दे दें और बदले में आतंकी हमले भी झेलते रहें। यह उदारता कम करना होगी। चायना यदि किसी देश को कुछ देता है तो उससे कुछ लेता भी है। हम खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। पाक को सभी सुविधाओं को बंद कर देना चाहिए।
-डॉ संजय जैन, विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान, जीएसीसी
सर्जिकल स्ट्राइक ड्यूटी थी, राजनीति नहीं
सर्जिकल स्ट्राइक हमारी ड्यूटी थी, लेकिन राजनेताओं ने इसे राजनीति में घसीट दिया। सेना ने 1947 के बाद कई बार अपना खून बहाया है, अब जरूरत है कि राजनेता भी आगे आएं। हर बार सेना को आगे कर दिया जाता है, हम तो हमेशा आगे खड़े हैं। 26 जनवरी और 15 अगस्त पर ही देशभक्ति जागती है। उसके बाद फिर सब शांत हो जाता है। देशभक्ति लोगों के दिमाग में बनी रहे, इसके लिए देशभक्ति का पाठ पढ़ाना होगा और एक तिरंगा हर घर पर लहराना होगा।
-कर्नल निखिल दीवानजी, रिटायर आर्मी ऑफिसर
बच्चे को पढ़ाएं देशभक्ति का पाठ
मैंने 10 साल एनसीसी को दिए हैं, इसलिए मुझे लगता है कि बच्चों को शुरू से ही देशभक्ति का पाठ पढ़ाना होगा। मिलिट्री का कोर्स दो साल का नहीं होना चाहिए, यह तो निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। लोगों को समझना होगा कि देश की रक्षा कैसे करनी चाहिए। चायना ने हमारे पूरे मार्केट पर कब्जा कर लिया है। यह भी एक जंग है कि इससे कैसे लड़ा जाए। फाइव जी आने वाला है। चायना कंपनी के माध्यम से ही इसे लांच किया जाएगा। ऐसे में देश का पूरा डेटा चायना के पास पहुंच जाएगा।
-डॉ ऋषिना नातू, सहायक प्राध्यापक, गुजराती विज्ञान महाविद्यालय
370 पर चोट करने की जरूरत
देश के राजनेता देशप्रेम भूल चुके हैं। सरकार चाहे तो दो तिहाई बहुमत लाकर आर्टिकल 370 को हटाना चाहिए, लेकिन राजनेता ऐसा नहीं चाहते और हर बार इस मुद्दे को चुनाव के पहले उठाते हैं और चुनाव जीतते ही भूल जाते हैं।
-सुरेंद्र वर्मा, पूर्वाध्यक्ष, इंदौर अभिभाषक संघ
बोलने नहीं, अब करने की जरूरत
प्रधानमंत्री ने जवानों के शहीद होने के बाद सेना को छूट तो दे दी लेकिन यह छूट किस तरह की है, इसे परिभाषित करना होगा। खाली बोलने से काम नहीं चलता है, कुछ करने की जरूरत है। यदि अनुमति मिल जाए तो सेना कभी पीछे नहीं हटेगी। चाहे कितनी भी बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक हो।
-रमिंदरसिंह रेखी, टायर व्यापारी
आवागमन बंद करना होगा
ज्यादातर हमले टूरिस्टों पर होते हैं, यहां आवागमन बंद करना होगा, जब तक कि आर्टिकल 370 नहीं हट जाता। इसके बाद अगला कदम उठाना होगा। यहां के लोगों को शिक्षित करना भी जरूरी है, जिससे उनमें अच्छे व बुरे की समझ विकसित हो सके।
-मनीष मोदी, शहर उपाध्यक्ष, कांग्रेस
पाकिस्तान की मिलिट्री को कमजोर करना होगा
पाकिस्तानी सेना ही पाकिस्तान पर राज करती है। उसे कमजोर करना जरूरी है, क्योंकि वहां के राजनेता चाहें तो तब भी वे देश के साथ मित्रता नहीं कर सकते। वहां सेना की अनुमति के बिना कुछ नहीं हो सकता।
-तेजप्रताप राणे, कांग्रेस नेता
राजनेता भी अपने बच्चे को फौज में भर्ती करें
मैं फौज में था, मेरा बेटा और अब पोता भी फौज में है। हमारा परिवार फौजियों का है, इसलिए हमें देशभक्ति का अहसास है। हम चाहते हैं कि राजनेताओं सहित हर परिवार से एक सदस्य फौज में भर्ती हो। तभी देश की रक्षा हो सकेगी।
-बद्रीलाल पटेल, रिटायर्ड सीमैन, इंडियन नेवी
कश्मीर में भी हैं अच्छे लोग
देश में कई खुफिया एजेंसी काम कर रही हैं, इसलिए इन एजेंसियों को यह जानना होगा कि कश्मीर में अच्छे लोग कौन से हैं। इन अच्छे लोगों को ढूंढकर उन्हें बुरे लोगों और आतंकियों के खिलाफ खड़ा करना होगा, तभी हम आतंकवादियों को खत्म कर सकते हैं।
-शफी शेख, सामाजिक कार्यकर्ता
सभी देशों को दबाव डालना होगा
अब पाकिस्तान से हमदर्दी की जरूरत नहीं है। सभी देशों को मिलकर दबाव डालना होगा कि इस आतंकवाद पर लगाम लगाई जा सके। यही मौका है कि लोहा गर्म है और हमें उस पर चोट करना होगी।
-दिलीप चौरसिया, एडवोकेट
कश्मीर हमारा अंग है, इसे बचाना जरूरी
कश्मीर हमारे देश का अंग है, इसे बचाना जरूरी है। जरूरी नहीं कि उसमें रहने वाले लोगों पर गोली चलाई जाए। उसके लिए नए तरीके अपनाने होंगे। उनके अंदर देश प्रेम जगाना होगा।
-मनोजकुमार शर्मा, लोहा व्यापारी
राहुल सेना के साथ खड़े हैं, सरकार के साथ नहीं
यह शर्म की बात है कि इतने बड़े मुद्दे और देश पर आघात करने वाले मामले पर भी राजनीति हो रही है। राहुल गांधी को सरकार के साथ खड़े होकर आतंक के खिलाफ फैसला लेना चाहिए न कि सेना के साथ खड़े होकर अनुमति का इंतजार करना चाहिए।
-सतवीर सिंह, युवा नेता, भाजपा
आतंकियों के पास कैसे आ रहा पैसा
पाकिस्तान को अब दूसरे तरीके से मारना होगा। वह वैसे भी आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। अब देखना होगा कि आतंकवादियों के पास कहां से पैसा आ रहा है। इसे बंद करना होगा।
-दिलीप शर्मा, एडवोकेट
ऐसे तो पूरे कश्मीर में आतंकवाद हो जाएगा
जितना अधिक समय हम लगाएंगे, उतने ज्यादा आतंकवादी कश्मीर में पैदा होंगे। वहां के मदरसों में ही आतंकवादी पैदा होते हैं। सेना के प्रति इतनी ज्यादा क्रूरता भर दी जाती है कि वे आतंकवादी बनने के लिए तैयार हो जाते हैं।
-संजय मेहरा, हाई कोर्ट एडवोकेट
कम्युनिकेशन बंद होना चाहिए
कश्मीर में सूचना का आदान-प्रदान ही आतंक का बड़ा माध्यम है। यहां से किसी भी प्रकार की संवेदनशील सूचना लोगों तक नहीं पहुंचनी चाहिए। जब सूचना के माध्यम नहीं थे तब भी जीवन चलता था, लेकिन आतंकवाद नहीं था।
-महेश राजपूत, एडवोकेट