Islamabad: गिलगित-बाल्टिस्तान में सोशल मीडिया पर आतंक विरोधी कानून और साइबर क्राइम एक्ट 2016 के कथित उल्लंघन को लेकर इसी सप्ताह सोशल मीडिया कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया।
7.5 फीसदी ग्रोथ का लक्ष्य मुश्किल, ब्याज दर में कटौती की और गुंजाइश आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आया…
पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ बोलना भी बड़ा अपराध है, कहने को तो पाक में भी लोकतंत्र है, लेकिन लोकतंत्र की धजियां उड़ाने वाला पाकिस्तान दुनिया में इकलौता मुल्क है । ताजा मामला इसी सप्ताह गिरफ्तार हुए सामाजिक कार्यकर्ता का है, जिसे सिर्फ सोशल साइट पर सरकार के खिलाफ पोस्ट करने को लेकर तमाम कानूनों के तहत पुलिस ने हिरासत में ले लिया है ।
दरअसल आपकों बता दें कि हसनैन रामल गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के हक की लड़ाई लड़ रहे थे, रामल लोगों के राजनीतिक और आर्थिक अधिकार के लिए लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे थे । हसनैन रामल को पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी कानून के अनुच्छेद 4 के तहत गिरफ्तार किया गया।
स्थानीय अखबार ने कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वकील अहसान अली के हवाले से बताया है कि रामल से सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में संयुक्त जांच दल ने पूछताछ की और 9 अगस्त को कोर्ट के समक्ष पेश किया। इससे पहले रामल का नाम आतंक विरोधी कानून में रखा गया था लेकिन अहसान अली के हस्तक्षेप के बाद इस मामले का समाधान हो गया था।
पुलिस ने बताया कि चार साल पहले पीएमएल-एन सरकार द्वारा गेहूं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की सब्सिडी को लेकर हुए प्रदर्शन में रामल भी शामिल थे । सब्सिडी की बहाली के लिए अवामी एक्शन मूवमेंट द्वारा धरना-प्रदर्शन किया गया था । गिलगित-बाल्टिस्तान आवामी वर्कर्स पार्टी के नेताओं ने रमल की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त करते हुए तुरंत रिहाई की मांग भी की।
गिलगित-बाल्टिस्तान आवामी वर्कर्स पार्टी के नेताओं ने कहा- कि एक ओर देश में आतंकियों को सरकार बुलाती है और दूसरी और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले मानवाधिकार के कार्यकताओं की आवाज को दबाया जाता है।
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