उड़ी में सेना की यूनिट पर हुए आतंकी हमले में भले ही पाकिस्तान की संलिप्लतता के पुख्ता सबूत मिले हों, लेकिन पाक मीडिया का रवैया ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ जैसा है।
उड़ी अटैक को लेकर पाकिस्तानी अखबारों में भारत पर ही दोषारोपण करते हुए हमले की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं। अखबारों के संपादकीय में कहा गया है कि हमले का वक्त संदेहास्पद है क्योंकि पाक पीएम नवाज शरीफ यूएन महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाने की तैयारी में हैं।
‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने लिखा, ‘यह अटैक ऐसे समय में हुआ जब भारत आसानी से पाक पर उंगली उठा सकता है। वह भी ऐसे वक्त मे जब नवाज शरीफ यूएन पहुंच रहे हैं।’ अखबार ने लिखा, ‘अपने मीडिया के जरिए छद्म ऑपरेशंस चलाने वाले भारत के राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठान पाकिस्तान को बदनाम करने में जुट गए हैं। अपने इंटेलिजेंस की असफलता को ढकने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाक की छवि को खराब करने के लिए ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं।’
अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘भारत ने आडंबर और पूरी वाक्पटुता के साथ अद्भुत कहानियां गढ़ने की आदत जारी रखी है। इस बार यूएन में नवाज शरीफ की स्पीच से ध्यान हटाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।’ एक और अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने भी यही लाइन ले रखी है। एक सीनियर सैन्य अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा कि भारत के रिटायर्ड जनरल्स और डिप्लोमैट्स ने जांच से पहले ही पाकिस्तान को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है।
कराची बेस्ड ‘डॉन’ अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा कि भारत क्षेत्र अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहा है। अखबार ने लिखा है, ‘भारत ने पाकिस्तान पर अटैक का आरोप लगाया है। इससे भारत-पाकिस्तान के रिश्ते कठिन और अस्थिरता के नए दौर पर पहुंच गए हैं।’