मजबूरी में चीन, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों को भारत के रुख का समर्थन करना पड़ा है। वहीं चीन को छोड़कर सुरक्षा परिषद के ज्यादातर सदस्य भारत की जवाबी कार्रवाई के अधिकार व पाक पर हर तरह का दबाव बनाने के पक्ष में हैं। भारत उच्च स्तर पर चीन से संपर्क में है।
कूटनीतिक मंच पर पाकिस्तान को पूरी तरह से अलग-थलग करने में भारत को एक के बाद एक महत्वपूर्ण सफलता मिल रही है। पाकिस्तान अपने शुभचिंतक समझे जाने वाले देशों से भी आतंकवाद के मुद्दे पर कटता नजर रहा है।
वहीं, रूस के जरिए मसूद अजहर के मसले पर चीन का रुख बदलने का प्रयास हो रहा है। माना जा रहा है कि पुलवामा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में भी शुरुआती हिचकिचाहट के बावजूद दुनिया के सभी प्रमुख देशों के रुख को देखते हुए चीन हस्ताक्षर को राजी हो गया। जानकारों का कहना है कि भारत की पूरी कोशिश है कि पाक को आतंकवाद के मसले पर बेनकाब किया जाए।