पाकिस्तान की हरकतों से भारत तो परेशान रहता ही है, अफगानिस्तान और ईरान जैसे उसके दूसरे पड़ोसी देश भी परेशान हैं. पाक की गोलाबारी और अपने देश के आंतरिक मामलों में पाकिस्तानी सेना के हस्तक्षेप से परेशान अफगानिस्तान से संयुक्त राष्ट्र (UN) में इसकी शिकायत की है. पाकिस्तान पिछले कई साल से अफगानिस्तान की सीमा में गोले दागता रहा है. इसके अलावा तालिबान से रिश्ते बढ़ाकर पाकिस्तान उसके आंतरिक मामलों में दखल भी दे रहा है.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, अफगानिस्तान सरकार ने 22 फरवरी को लिखे एक लेटर में ‘पाकिस्तानी सेना द्वारा अफगानिस्तान की सीमा में लगातार अतिक्रमण’ की शिकायत की है. अफगानिस्तान सरकार ने अपने लेटर में संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया है कि वह ‘इस मामले के प्रभावी तरीके से समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए. इस खत के अनुसार, पाकिस्तान ने साल 2012 से 2017 के बीच अफगानिस्तान की सीमा में 28,849 गोले दागे. इनकी वजह से अफगानिस्तान के 82 लोगों की मौत हो गई और 187 लोग घायल हो गए.
एक हफ्ते के भीतर अफगानिस्तान सरकार द्वारा इस मामले में यूएन को लिखा गया यह दूसरा लेटर है. अफगानिस्तान ने पहले लेटर में इस बात की शिकायत की थी कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस्लामाबाद में तालिबान के नेताओं के साथ बैठक करने जा रहे हैं. उस लेटर में अफगान सरकार ने कहा था, ‘यह मीटिंग अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया को दमित करती है और ‘अफगानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है.’ इसके बाद यह बैठक कैंसिल करनी पड़ी थी. तालिबान नेताओं ने इस बैठक को कैंसिल करते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा उनकी यात्राओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने की वजह से वे पाकिस्तान नहीं जा सकते. इससे यह बात सामने आई थी कि पाकिस्तान अपने स्तर से तालिबान को मनाने की कोशिश कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के उप स्थायी प्रतिनिधि नजीफुल्ला सलारजाई ने इस लेटर में लिखा है, ‘पाकिस्तान द्वारा इन उल्लंघनों के प्रकृति की बात करें तो वे लगातार अफगानिस्तान की सीमा में गोलीबारी कर रहे हैं, खासकर कुनार और नांगरहार प्रांत के जिलों और गांवों में. पाकिस्तान लगातार अपने सैन्य विमान भेजकर और सैन्य चौकी, बैरियर, बाड़ लगाकर अफगानिस्तान की सीमा का अतिक्रमण कर रहा है.’
इसके पहले इसी महीने ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के एंबेसडर को नोटिस जारी किया था. ईरान के दक्षिण पूर्वी सिस्तान में हुए आतंकी हमले में 27 रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की मौत हो गई थी. इस आतंकी घटना की जिम्मेदारी पाकिस्तान के एक आतंकी संगठन जैश-उल-अदल ने ली है. ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने साफ कहा था कि ईरान अपने सैनिकों के खून का बदला लेकर रहेगा.