वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। उसने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की प्रतिबंध समिति 1267 द्वारा 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और जमात उद-दावा से संबंधित अन्य आतंकियों पर लगाए गए प्रतिबंधों को पूरी तर से लागू नहीं किया है।
एपीजी का कहना है कि यही रवैया लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के साथ भी है। एपीजी ने म्युचुअल इवैलुएशन रिपोर्ट ऑफ पाकिस्तान नाम की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को अपने धन शोधन या आतंकी वित्तपोषण के जोखिमों की ‘पहचान, आकलन और समझ’ होनी चाहिए। जिसमें पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों जैसे कि दाएश, अल-कायदा, जमात-उद-दावा से जैश-ए-मोहम्मद सहित अन्य आतंकी समूहों से जुड़े जोखिम शामिल हैं
रिपोर्ट मे कहा गया है कि पाकिस्तान ने यूएनएससीआर की प्रतिबंध समिति 1267 द्वारा सूचीबद्ध किए गए व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। खासतौर से लश्कर-ए-तैयबा, जमात उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत सहित अन्य संगठन शामिल हैं।
Asia Pacific Group (APG) of the Financial Action Task Force (FATF) : Pakistan should adequately identify, assess and understand its ML (Money Laundering)/TF (Terror Financing) risks including transnational risks and risks associated with terrorist groups operating in Pakistan. https://t.co/4hxpoDimOn
— ANI (@ANI) October 7, 2019
यह रिपोर्ट पाकिस्तान की कोशिशों के लिए झटका है क्योंकि उसने हाल ही में कहा था कि अब पाकिस्तान में कोई आतंकी संगठन सक्रिय नहीं है। पाकिस्तान पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा भी मंडरा रहा है। मनी लांड्रिंग पर नजर रखने वाली अतंरराष्ट्रीय एजेंसी एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्ता को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था और उसे 15 महीने का समय दिया था।
पाकिस्तान को मिली डेटलाइन सितंबर में खत्म हो चुकी है। माना जा रहा है कि एफएटीएफ पेरिस में 13 से 18 अक्तूबर के बीच होने वाली बैठक में मामले की अंतिम समीक्षा करेगा। इसलिए ऐसे समय पर रिपोर्ट का आना पाकिस्तान के लिए सही संकेत नहीं है।