पाकिस्तान: अवैध शादी के मामले में पूर्व पीएम इमरान खान बरी

पाकिस्तान की एक अदालत से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राहत मिली है। अवैध निकाह मामले में कोर्ट ने इमरान खान और उनकी पत्नी को बरी कर दिया है। हालांकि भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें अभी भी जेल में ही रहना होगा।

पाकिस्तान की एक अदालत ने शनिवार को पूर्वप्रधान मंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी को गैर-इस्लामिक विवाह मामले में बरी कर दिया है, लेकिन भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में इमरान खान को अभी जेल में ही रहना होगा।

इस्लामाबाद जिला और सत्र अदालत ने शनिवार को इद्दत मामले में अपनी सजा के खिलाफ 71 साल के इमरान और 49 साल की बुशरा बीबी की दायर अपील को स्वीकार कर लिया है। हालांकि, गैर-इस्लामिक शादी के मामले में बरी होने के लगभग एक घंटे बाद ही राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने उन्हें एक नए तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार कर लिया। इससे कुछ समय के लिए ही जेल से रिहा हुए इमरान खान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान पिछले साल अगस्त से जेल में हैं।

NAB ने इमरान और बुशरा बीबी की गिरफ्तारी की पुष्टि की
एनएबी के उप निदेशक मोहसिन हारून ने पुष्टि करते हुए बताया कि इमरान और बुशरा बीबी को ताजा तोशखाना भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया गया है। इमरान खान और उनकी पत्नी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार के दौरान उपहार भंडार से कम कीमतों पर गिफ्ट लेने के बाद उसे ऊंचे दामों पर बेच दिया।

यह तीसरा तोशाखाना मामला है। जबकि पिछले दो तोशाखाना मामलों में खान की सजा को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने निलंबित कर दिया था।

जानिए क्या है तोशखाना
तोशखाना कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विभाग है। जो अन्य सरकारों, राज्यों के प्रमुखों और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा शासकों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को दिए गए बहुमूल्य उपहारों को संग्रहीत करता है।

आरक्षित सीटों के मामले में सुप्रीम कोर्ट कर चुका है बरी
जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी पीटीआई को शुक्रवार को एक बड़ी कानूनी जीत मिली थी। दरअसल, शीर्ष अदालत ने पार्टी को नेशनल और प्रांतीय असेंबली में आरक्षित सीटों के लिए पात्र माना है। सर्वोच्च न्यायालय 13 सदस्यीय पीठ ने अपने 8-5 के बहुमत से फैसला दिया।

शीर्ष अदालत ने पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) के फैसले को रद्द किया। जबकि चुनाव आयोग के फैसले को भी अमान्य घोषित किया और इसे पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ बताया।

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