पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने में जुटे प्रशांत किशोर की आगे की राह पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम पर टिक गई है। राज्य के कई मौजूदा विधायकों को अगले चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने की सिफारिश के कारण इन दिनों कांग्रेस विधायकों की नाराजगी झेल रहे प्रशांत किशोर ने एलान कर दिया है कि अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा को 100 से अधिक सीटें मिलीं और ममता बनर्जी (दीदी) की सरकार दोबारा न बनीं तो वह चुनावी रणनीतिकार का काम छोड़ देंगे और कोई अन्य काम करके अपना गुजर-बसर कर लेंगे।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से प्रशांत किशोर को अपना प्रमुख राजनीतिक सलाहकार बनाए जाने के बाद जैसे ही उन्होंने सूबे के कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाकर उनसे फीडबैक लिया तो उसे लेकर कई विधायक नाराज हो गए थे।
विधायकों का कहना था कि प्रशांत की ओर से उन्हें बुलाकर पूछताछ या जानकारी हासिल करना ऐसा साबित करता है कि प्रशांत अब कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ से भी बड़े हो गए हैं।
फिर भी मामला कुछ ही दिन में शांत हो गया, लेकिन बीते दिनों जब यह बात सामने आई कि प्रशांत किशोर ने करीब 30 विधायकों की सूची पार्टी आलाकमान को सौंपी है, जिनके बारे में सिफारिश की गई है कि इन विधायकों को 2022 में टिकट न दिया जाए।
यह बात मीडिया में आते ही प्रदेश के कांग्रेस विधायकों का गुस्सा भड़क गया। हालांकि उनमें से किसी ने भी सार्वजनिक तौर पर इसका विरोध नहीं किया, लेकिन पार्टी के भीतर यह मामला इतने बड़े विवाद का विषय बन गया कि खुद कैप्टन को प्रशांत किशोर के बचाव में आगे आना पड़ा।
उन्होंने कहा कि प्रशांत केवल सलाहकार हैं और वे सलाह ही दे सकते हैं। किसी को टिकट देना या नहीं देना, यह प्रशांत तय नहीं करेंगे, बल्कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से तय विधि से ही उम्मीदवार तय किए जाएंगे।
इसके बाद प्रदेश के कांग्रेस विधायकों ने अब 2 मई का इंतजार करना शुरू कर दिया है, जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। बुधवार को कुछ विधायकों ने संपर्क करने पर इतना ही कहा कि दीदी के चुनाव नतीजे देख लें, उसके बाद प्रशांत किशोर की रणनीति का इम्तिहान लिया जाएगा। जाहिर है, पंजाब के कांग्रेस विधायक अब प्रशांत किशोर की योग्यता पर सवाल उठाने की तैयारी में हैं।
अगर दीदी सरकार नहीं बना सकीं तो पंजाब में प्रशांत के लिए काम कर पाना संभव नहीं रहेगा और कैप्टन के लिए भी अपने पार्टी सहयोगियों की बात माननी ही होगी। लेकिन अगर दीदी सरकार बनाने में कामयाब हो गईं तो पंजाब में कांग्रेस सीधे तौर पर प्रशांत की रणनीति पर ही निर्भर हो जाएगी।