पाकिस्तान की एक अदालत ने गुलाम जम्मू कश्मीर से पिछले हफ्ते अपहृत पत्रकार का पता नहीं लगाने को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई है। पाकिस्तान हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने सोमवार को सवाल किया कि क्या जासूसी एजेंसियां देश चलाएंगी। पिछले हफ्ते कथित तौर पर घर से खुफिया एजेंसियों ने उनका अपहरण कर लिया था। उनकी पत्नी ने 15 मई को हाई कोर्ट का रुख किया था।
खुफिया एजेंसियों ने किया था अपहरण
पिछले हफ्ते कथित तौर पर घर से खुफिया एजेंसियों ने उनका अपहरण कर लिया था। उनकी पत्नी ने 15 मई को हाई कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट में रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि फरहाद शाह आइएसआइ के पास नहीं हैं। उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसी पत्रकार को जबरन गायब करने में अपनी संलिप्तता के आरोप का खंडन कर रही है। इस पर, न्यायमूर्ति कयानी ने टिप्पणी की कि मामला अब आइएसआइ और सैन्य खुफिया विभाग के अधिकार क्षेत्र से परे है।
न्यायमूर्ति कयानी ने रक्षा सचिव को रिपोर्ट लिखित रूप में हाई कोर्ट को सौंपने का निर्देश दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायाधीश ने बचाव पक्ष और आंतरिक सचिवों को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
पाकिस्तान के कानून मंत्री ने क्या कहा?
वहीं, पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने सोमवार को न्यायपालिका से कहा कि कोर्ट को मामले में वरिष्ठ सैन्य और सरकारी अधिकारियों को अदालत में घसीटने का अधिकार नहीं है। तरार ने कहा कि मीडिया चैनलों ने न्यायाधीश का हवाला देते हुए खबर दी कि वह प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल को तलब करेंगे। यह संसद की शुचिता को कमजोर करने वाला है।
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