चार दशक पहले 26 अगस्त, 1978 का दिन हिंदुस्तान कभी नहीं भुला पाएगा, जब दिल्ली की होनहार लड़की गीता और प्रतिभाशाली लड़के संजय चोपड़ा को दो बदमाशों रंगा-बिल्ला ने मौत की नींद सुला दिया था। दोनों रिश्ते में भाई-बहन थे।
29 अगस्त, 1978 को दोनों की हत्या की बात सामने आई तो निर्भया की तरह पूरा देश उबल पड़ा। दरअसल, हत्या से पहले गीता चोपड़ा के साथ दुष्कर्म भी किया गया था। मीडिया और देश की जनता के दबाव में आखिरकार पुलिस ने कड़ी मेहनत के बाद दोनों को पकड़ा और 4 साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद रंगा-बिल्ला को फांसी मिली। वहीं, बाद में केंद्र सरकार बहादुर बच्चे-बच्चियों के लिए ब्रेवरी अवार्ड लाई। जिसका नाम गीता और संजय चोपड़ा के नाम पर रखा गया। यह ब्रेवरी अवॉर्ड तब से हर साल 26 जनवरी की परेड के दौरान बहादुर बच्चों को दिया जाता है।