पंजाब में बोर्ड और निगमों के चेयरमैन की नियुक्ति का मामला अब भी अटका हुआ है। कांग्रेस सरकार अपनी उलझनों में व्यस्त है, जिस कारण बोर्ड व कारपोरेशन में चेयरमैन नियुक्त करने की फाइल क्लियर नहीं हो पा रही है। इससे कांग्रेस नेताओं में खासी बेचैनी है। यह फाइल सीएम ऑफिस में रुक गई है।
लंबी मशक्कत के बाद 13 जुलाई को कांग्रेस ने आठ बोर्ड-कारपोरेशन में चेयरमैन की लिस्ट जारी की थी। इससे पार्टी नेताओं में उम्मीद जग गई थी कि जल्द ही सरकार उनके भाग्य का फैसला करेगी, लेकिन इसके बाद से ही सरकार ने चुप्पी साध ली।
पूरे मामले में अहम पहलू यह है कि लोकसभा चुनाव से पहले ही 14 से 15 बोर्ड-कारपोरेशन के चेयरमैन की लिस्ट पार्टी हाईकमान ने क्लीयर कर दी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण सरकार ने इस लिस्ट को रोक लिया था। चुनाव खत्म होने के करीब डेढ़ माह बाद 13 जुलाई को सरकार ने आठ चेयरमैनों की लिस्ट को हरी झंडी थी, जबकि अभी भी सात से आठ बोर्ड-कारपोरेशन के चेयरमैन पदों की लिस्ट पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है। इन बोर्ड-कारपोरेशन की फाइल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के दफ्तर में ही रुकी हुई है।
नियुक्ति में देरी से बढ़ी नाराजगी
चेयरमैन बनने के इच्छुक लोगों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है। जिला परिषद और बोर्ड कारपोरेशन में चेयरमैन की नियुक्ति में हो रही देरी से कांग्रेस में खासी नाराजगी उत्पन्न हो रही है। पार्टी के अंदर अब यह चर्चा गर्म हो गई है कि अब महज ढाई वर्ष रह गए हैं। अगर थोड़ा समय और बीता तो चेयरमैन बनाने का भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।
इन बोर्ड कारपोरेशन की कमान ब्यूरोक्रेसी के हाथ में होने के कारण पार्टी में नाराजगी पनप रही है। माना जा रहा है कि जिला परिषद के चेयरमैन नियुक्त करने के बाद ही पार्टी इस संबंध में फैसला लेगी, क्योंकि जिला परिषद के चुनाव को हुए भी करीब एक साल का समय पूरा होने जा रहा है, लेकिन अभी तक सरकार जिला परिषद में चेयरमैन व वाइस चेयरमैन नियुक्त करने को लेकर फैसला नहीं कर पाई है। इसी सप्ताह सरकार ने जिला परिषद में महिलाओं के आरक्षण की अधिसूचना जारी की है।