पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने महिलाओं के लिए एक बड़ा ऐलान किया है. पंजाब में रोडवेज और पीआरटीसी की चलने वाली बसों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी किराए में छूट का ऐलान किया है.
कैप्टन अमरिंदर ने यह ऐलान विधानसभा में किया है. जैसे ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया, इस ऐलान को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार और केजरीवाल फैक्टर का असर करार दे दिया.
आम आदमी पार्टी के नेता विपक्ष हरपाल चीमा और विधायक कुलतार सिंह संदोहा ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भी दिल्ली सरकार के कामकाज की ही चर्चा सदन के अंदर होती रही है.
अब जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में महिलाओं को डीटीसी की बसों में किराए में छूट दी है, उसका असर पंजाब सरकार पर भी दिख रहा है. पंजाब सरकार ने भी दिल्ली सरकार की तर्ज पर ही महिलाओं के लिए बस किराए में छूट का ऐलान किया है.
हालांकि, पंजाब के कैबिनेट मंत्री बलबीर सिद्धू ने आम आदमी पार्टी के दावे को खारिज कर दिया कि दिल्ली सरकार के रोडमैप को पंजाब सरकार भी कॉपी करने की कोशिश कर रही है.
बलवीर सिद्धू ने कहा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार का रोडमैप अलग है, हमारा रोड मैप अलग है. हमें तो लगता है कि दिल्ली सरकार भी पंजाब सरकार के कामकाज को ही कॉपी करती है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार का ये कदम महिलाओं के लिए बड़ी राहत है. साथ ही उन्होंने पंजाब के सरकारी स्कूलों को लेकर भी दावा किया कि पंजाब में करीब 5500 स्मॉर्ट स्कूल पहले से ही चल रहे हैं.
दिल्ली सरकार जो अपने स्मार्ट स्कूलों को लेकर दावा कर रही है तो उनके पास स्कूलों की संख्या सैकड़ों में है. वहीं पंजाब में करीब 18,000 स्कूल चल रहे हैं.
इस पूरे मामले पर अकाली दल के नेता एन के शर्मा ने कहा कि पहले तो पंजाब की कांग्रेस सरकार बसों के किराये में वृद्धि करती रही, अब महिलाओं के लिए 50 फीसदी कटौती का दांव चलकर उतना ही किराया कर दिया गया है जितना पूर्व की अकाली-बीजेपी सरकार के वक्त हुआ करता था.
एन के शर्मा ने बस किराए माफी को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं के द्वारा दिल्ली सरकार की सराहना करने पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने चुनाव से 6 महीने पहले महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की थी और पंजाब सरकार भी अब जब चुनाव में सिर्फ 2 साल रह गए हैं तब महिलाओं के लिए इस तरह के ऐलान कर रही है. सीधे तौर पर दिखाता है कि ये दोनों ही सरकारें वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं.