शाहपुरकंडी बांध का निर्माण पूरा हो गया है। अब किसानों को पर्याप्त पानी मिलेगा। इससे पंजाब और जम्मू-कश्मीर के खेतों में फसल लहलहाएगी। दोनों ही राज्यों में बिजली की किल्लत दूर करने में भी मदद मिलेगी। वहीं पाकिस्तान को रावी नदी का अधिक पानी नहीं मिलेगा।
आने वाली गर्मी में पाकिस्तान पानी को तरस सकता है। दरअसल, शाहपुरकंडी बैराज बांध का काम पूरा हो गया है। बुधवार को ट्रायल के तौर पर झील के कैचमेंट एरिया में पानी भरना शुरू कर दिया गया है। शाहपुरकंडी बैराज बांध रणजीत सागर बांध परियोजना की दूसरी इकाई है। परियोजना पर करीब 2,793 करोड़ रुपये लागत आई है।
जम्मू-कश्मीर और पंजाब दोनों ही राज्यों की पानी की जरूरत है। अभी रावी नदी का कुछ पानी माधोपुर हेडवर्क्स से पाकिस्तान चला जाता है। मगर अब इस परियोजना के पूरा होने से पाकिस्तान को जाने वाले पानी पर रोक लगेगी।
पंजाब और जम्मू-कश्मीर के खेतों में पहुंचेगा पानी
बांध के शुरू होने से रावी नदी का पानी पंजाब के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के खेतों तक पहुंचेगा। जानकारी के मुताबिक एक मार्च तक इस बांध में जल भरने का काम शुरू होना था। मगर बुधवार से पानी शाहपुरकंडी झील में छोड़ दिया गया है। जानकारी के मुताबिक झील में पहले लगभग चार फुट तक पानी भरा जाएगा। इसके बाद शाहपुरकंडी में पंजाब के हिस्से में बने 10 स्लाउस की जांच की जाएगी।
इसके बाद आठ फुट पानी भरने के बाद दोबारा जांच की जाएगी। यहां से पानी माधोपुर को छोड़ा जाएगा। एक मार्च से शाहपुरकंडी झील में पूरी तरह से पानी भरा जाएगा।
2025 में शुरू होगा बिजली का उत्पादन
शाहपुरकंडी बांध परियोजना के पावर हाउसों का निर्माण कार्य भी जोरों पर चल रहा है और पावर हाउसों के निर्माण के बाद दिसंबर 2025 तक बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके बाद पंजाब और जम्मू संभाग के किसानों के खेतों तक इस पानी को पहुंचाया जाएगा।
इस बांध से सबसे अधिक फायदा जम्मू-कश्मीर के किसानों को होगा। इस परियोजना के तहत रावी नदी से जम्मू-कश्मीर को प्रतिदिन 1150 क्यूसेक पानी मिलेगा, जिससे कठुआ और सांबा जिलों में 32173 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। परियोजना से 206 मेगावाट बिजली उत्पादन का भी लक्ष्य है।