विधानसभा के पवित्र सदन की मर्यादा बुधवार को तार-तार हो गई। पूर्व मंत्री राणा गुरजीत और नेता प्रतिपक्ष सुखपाल खैरा ने सदन में ही एक-दूसरे को अपशब्द कहे। हालांकि उनकी बातें सदन की कार्यवाही से हटा दी गईं। बजट सत्र के दौरान रोज ही कोई न कोई सदस्य आपे से बाहर हो रहा है। बुधवार को शून्यकाल के दौरान राणा गुरजीत को जैसे ही बोलने का मौका मिला, उनके निशाने पर सुखपाल खैरा आ गए। उन्होंने कहा कि खैरा ने आदमपुर में सिंचाई विभाग की जमीन गलत ढंग से अपने नाम कर ली।
खैरा ने उनको चंडीगढ़ में कोठी बेची, जिसकी सेल्स डीड उनके और उनकी पत्नी के नाम है। पर पॉवर ऑफ अटॉर्नी उनके सगे भाई के नाम कर दी। राणा ने खैरा के पिता के बारे में भी बोला। इस पर आप के विधायकों ने खड़े होकर विरोध जताया। तभी आवेग में राणा के मुंह से अपशब्द निकल गया। उनका माइक ऑन था तो सबने वह सुना जो राणा ने कहा। जवाब में खैरा ने भी अपशब्द बोले, लेकिन उनका माइक ऑफ था। हालत यह हो गई कि स्पीकर को कहना पड़ा कि दिस इज टू मच..।
मनप्रीत ने कहा- बहन की शादी में किस्तों वाली गाड़ी दे दी
बाद में बजट पर बोलते हुए वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने विरोध कर शिअद-भाजपा विधायकों को कह दिया कि अगर मर्द के बच्चे हैं तो मेरी बात सुन कर जाएंगे। उन्होंने अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर निजी हमले किए। मनप्रीत ने कहा कि गरीब से गरीब आदमी भी बेटी की शादी में जमीन बेच कर गाड़ी देता है। लेकिन मजीठिया की बहन का रिश्ता हमारे घर में हुआ तो किस्तों वाली गाड़ी दी। आज मुझ पर टैक्स लगाने की बात कर रहे हैं। बात यहीं नहीं रुकी। मनप्रीत बोले, गरीब से गरीब आदमी मां के भोग पर लंगर, प्रसाद अपने घर का लाता है। पर मेरी ताई जी के भोग पर लंगर और प्रसाद एसजीपीसी ने दिया।
मर्दानगी के सर्टिफिकेट मनप्रीत से लेने पड़ेंगे
बाद में प्रेस कांफ्रेंस में मजीठिया ने कहा कि गलत भाषा का इस्तेमाल किया गया। लगता है वित्तमंत्री ने सेहत मंत्रालय भी हथिया लिया है, मर्दानगी के सर्टिफिकेट अब उनसे लेने पड़ेंगे।
खैरा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
बजट सत्र के आखिरी दिन सत्ताधारियों ने नेता प्रतिपक्ष सुखपाल खैरा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा। जिसे पास करके विशेषाधिकार हनन कमेटी को भेज दिया गया। ब्रह्म मोहिंद्रा ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि खैरा ने 29 नवंबर 2017 को सत्र में सारे सत्ताधारियों को चोर कहा था। बाद में उन्होंने अपने शब्द वापस ले लिए थे। 26 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए खैरा ने फिर कहा कि सभी सत्ताधारी रेत के अवैध खनन में लिप्त हैं। खैरा उस समय सदन में नहीं थे। आप के विधायकों ने इसका विरोध किया और वाकआउट कर दिया।
मैंने जो कहा, सदन में कहा था और उस पर कायम हूं। बाद में मीडिया से कोई बात नहीं की। यह विधानसभा के अंदर सियासी बदले की कार्रवाई है।