पंजाब विधानसभा में एक बार फिर हुआ हंगामा, टीनू ने सदन में लगाए स्पीकर के खिलाफ नारे….

पंजाब विधानसभा में कांग्रेस सरकार अपने ही विधायकों से घिर रही है। बुधवार को कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने सरकार को घेरा। वहीं, अकाली दल के विधायक पवन टीनू अकेले ही स्पीकर के ख़िलाफ़ सदन मेें नारेबाजी करने लगे। इस दौरान टीनू वित्त मंत्री मनप्रीत के पास पहुंच गए। टीनू ने मनप्रीत से कुछ कहा। इस कारण मनप्रीत गुस्से में आ गए। इसके बाद कुलबीर जीरा, बरिंदर मीत सिंह पहाड़ा टीनू की तरफ बढे, मामला धक्कामुक्की तक पहुंच गया। स्पीकर ने 15 मिनट के लिए हाउस को स्थगित कर दिया। इसके बावजूद मामला चलता रहा। जीरा ने गुस्से में टीनू का हाथ पकड़ लिया। परगट सिंह ने आकर दोनों को अलग किया। इसके बावजूद जीरा और टीनू एक दूसरे को ललकारते रहे।

बता दें, टीनू अपने व्यवहार को लेकर पहले ही कांग्रेस विधायकों के निशाने पर थे। विजय इंदर सिंगला स्पीकर को टीनू की शिकायत कर चुके हैं। स्पीकर भी कई बार टीनू को हिदायत दे चुके हैं। आज भी शून्य काल के दौरान स्पीकर ने टीनू को सख्त लहजे में चेतावनी दी। स्पीकर ने कहा कि गर्मी न खाओ। इस पर टीनू ने स्पीकर के खिलाफ पोस्टर दिखाने शुरू कर दिए। संसदीय कार्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने टीनू के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने का भी प्रस्ताव रखा था। तब टीनू अकेले ही वेल में नारेबाजी कर रहे थे। पवन टीनू का मामला पंजाब विधानसभा प्रिविलेज कमेटी को दिया गया है।

इससे पहले, कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने पावर एग्रीमेंट को लेकर सरकार को घेरा। कहा कि कैसे हालात बन गए कैबिनेट कमेटी बना देते हैंं। कभी सब कमेटी बना दो, जब कोई काम न करना हो तो श्वेत पत्र  ले आओ, इसलिए हाउस की कमेटी बना दो। कमेटी जो तीन सप्ताह में दूध का दूध पानी का पानी कर दे। वहीं उन्होंने कहा कि 5 साल हो गए गुरुग्रंथ साहिब के किसने अंग फाड़े इसका पता नहीं चला। कांग्रेस की सरकार बने तीन साल हो गए हैैं। अभी तक दोषी नहीं पकड़े गए।

बता दें, गत दिवस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बजट सत्र के दौरान सदन में यह एलान करते हुए कहा कि श्वेत पत्र तैयार है लेकिन इसे सदन में रखने से पहले इस पर अभी और काम करने की जरूरत है। काबिले गौर है कि यह फैसला सोमवार कैबिनेट की मीटिंग में ही ले लिया गया था। जागरण ने इस बारे में पहले ही बता दिया था कि मुख्यमंत्री के राज्यपाल के अभिभाषण का उत्तर देने के समय बेशक कहा हो कि सरकार बजट सेशन में श्वेत पत्र लाकर अकालियों के कारनामों को जनता के सामने रखेगी लेकिन इस पर मंत्रियों और ब्यूरोक्रेसी में सहमति नहीं बनी है। यह श्वेत पत्र नहीं आएगा।

कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार किसानों और उद्योगों को सब्सिडी पर बिजली देने के साथ-साथ घरेलू उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर बिजली देने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि इसके लिए पावर परचेस एग्रीमेंट को गहराई से जांचने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से दायर की गई क्यूरिटिव पिटीशन पर सुनवाई भी होनी है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इस साल जनवरी महीने में एलान किया था कि अकाली भाजपा सरकार ने बिजली समझौतों को लेकर अपने कार्यकाल के दौरान प्राइवेट कंपनियों के साथ जो पावर परचेस एग्रीमेंट साइन किए हैं उसकी कथित धोखाधड़ी पर सरकार व्हाइट पेपर लाएगी। उन्होंने कहा कि अकाली भाजपा सरकार द्वारा हस्ताक्षर किए गए पीपीए, सभी दस्तावेज और उनकी ओर से स्थापित किए गए पावर प्लांटों का खुलासा किया जाएगा क्योंकि इससे राज्य पर अनावश्यक बोझ पड़ा है। अब मंगलवार को सरकार पलट गई। सदन में मुख्यमंत्री ने ड्राफ्ट की कापी दिखाते हुए कहा कि श्वेत पत्र तैयार है लेकिन इसे अभी लाया नहीं जाएगा।

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