पंजाब में मनरेगा योजना के तहत फर्जीवाड़ा मिला है। पंजाब में 4916 जॉब कार्ड फर्जी पाए गए हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लोकसभा में इस संबंधी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें इसका खुलासा हुआ है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में फर्जीवाड़ा सामने आया है। पिछले तीन साल के अंदर जांच में 4916 जॉब कार्ड फर्जी पाए गए हैं। पंजाब सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए इन फर्जी कार्ड को सूची से हटा दिया है। विभाग आगे भी जांच कर रहा है, ताकि ऐसे फर्जी कार्ड की पहचान करके इन्हें रद्द किया जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लोकसभा में इस संबंधी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें इसका खुलासा हुआ है।
पंजाब में योजना के तहत कई कार्य चल रहे हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण, तालाबों का रखरखाव और अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्य शामिल हैं। इसके अलावा पशु शेडों का निर्माण, जल संरक्षण और पौधारोपण आदि काम भी किए जाते हैं।
विभाग ने जानकारी दी है कि पंजाब में वर्ष 2022-23 के दौरान सबसे अधिक फर्जी जॉब कार्ड के मामले पाए गए थे। इस दौरान विभाग ने 3822 जॉब कार्ड को सूची से हटा दिया था, जिसके बाद फर्जी कार्ड की पहचान के लिए जांच तेज की गई। इसी वजह से 2023-24 में 777 फर्जी कार्ड डिलीट कर दिए गए। वर्ष 2024-25 में भी फर्जी कार्ड की पहचान के लिए जांच जारी रही और 317 कार्ड को सूची से हटाया गया।
वर्ष 2024-25 के दौरान पूरे देश में 58,826 फर्जी जॉब कार्ड डिलीट किए गए, जिसमें सबसे अधिक 8,111 फर्जी कार्ड बिहार में सामने आए थे। मनरेगा में फर्जी मामले रोकने के लिए आधार सीडिंग की जा रही है, ताकि फर्जी कार्ड पर रोक लगाई जा सके। पंजाब सरकार मनरेगा मजदूरों को बिल्डिंग और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण करवाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि उनको अन्य मजदूरों की तरह सभी तरह के लाभ मिल सकें।
योजना का यह है मकसद
मनरेगा का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी को कम करना है। केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह योजना शुरू की थी। यह योजना ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के मजदूरी रोजगार की कानूनी गारंटी प्रदान करती है, जिसके तहत परिवार के सदस्यों को काम दिया जाता है।