पंजाब में भूजल स्तर के आंकड़े गंभीर: हाईकोर्ट ने स्थिति को बताया चिंताजनक

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में भूजल के गिरते स्तर के आंकड़ों को चिंताजनक व गंभीर बताया है। कोर्ट ने भूजल संरक्षण के लिए जनवरी 2023 में जारी दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर पंजाब सरकार, पंजाब जल संसाधन विकास एजेंसी व केंद्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण से जवाब तलब किया है।

पंचकूला निवासी ध्रुव चावला ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब में भूजल के गिरते स्तर को रोकने में पंजाब सरकार नाकाम रही है। पंजाब पहले से ही भूजल संकट का सामना कर रहा है। लगातार भूजल के दोहन से स्थिति और खराब हो रही है। केंद्रीय भूजल अथॉरिटी द्वारा 2020 के ब्लॉक वाइज भूजल मूल्यांकन के दौरान पाया गया कि पंजाब के अधिकांश जिलों ने अपने भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन कर लिया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के हवाले से बताया गया कि पंजाब का भूजल 2039 तक 300 मीटर से नीचे गिर सकता है।

पंजाब में संबंधित अथॉरिटी द्वारा जल संरक्षण के लिए तैयार की गई प्रणाली दूर-दूर तक प्रभावी नहीं है। सब्सिडी कम होने के चलते उद्योग ट्रीटेड पानी को सिंचाई क्षेत्र को उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं। उद्योगों को ट्रीटेड पानी को किसानों तक पहुंचाने के लिए कोई प्रभावी प्रोत्साहन नहीं दिया गया। पंजाब जल संसाधन विकास एजेंसी ने शुरुआत में 2020 में दिशानिर्देश जारी किए थे। सार्वजनिक आपत्तियों पर विचार करने के बाद, उन्होंने 2023 की शुरुआत में अंतिम दिशानिर्देश जारी किए, जिन्हें याचिका में चुनौती दी गई है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से राज्य सरकार के अधिकारियों को पंजाब भूजल निष्कर्षण और संरक्षण निर्देश, 2023 को वापस लेने या उनमें संशोधन करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। याची ने कहा कि ऐसा करके ही पंजाब में भूजल की कमी से निपटने में अधिक प्रभावी हुआ जा सकता है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को इस विषय पर विस्तृत अध्ययन के बाद भूजल की कमी के खिलाफ अपनी नीति तैयार करने का निर्देश देने का आग्रह किया। हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और तुरंत इस पर कदम उठाना जरूरी है।

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