भारतीय जनता पार्टी के पंजाब के पूर्व अध्यक्ष कमल शर्मा की चंडीगढ़ में एंट्री हो गई है। कमल शर्मा की इस एंट्री के साथ ही चंडीगढ़ भाजपा में भी हलचल तेज हो गई है। शहर के सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भी कमल शर्मा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है। दूसरी ओर, कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी सक्रिय हाे गए हैं। इससे कांग्रेस में भी हलचल तेज हो गई है।
लोकसभा चुनाव से पहले चंडीगढ़ भाजपा में हलचल
चंडीगढ़ वालीबॉल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बनकर कमल शर्मा ने भाजपा की तिकड़ी को सोचने पर भी मजबूर कर दिया। कमल शर्मा की चंडीगढ़ एंट्री को लोकसभा चुनावों के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा के कार्यक्रमों में भी वह नजर आने लगे हैं। भाजपा के कुछ नेताओं की मानें तो कमल शर्मा अब चंडीगढ़ में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। भाजपा प्रेसिडेंट संजय टंडन का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। वह सिर्फ लोकसभा चुनाव तक चंडीगढ़ में भाजपा के प्रेसिडेंट रहेंगे। पार्टी हाईकमान स्पष्ट कर चुका है कि टंडन के नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा।
चंडीगढ़ वालीबाल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी बने कमल शर्मा
लोकसभा टिकट को लेकर किरण खेर के साथ टंडन भी मजबूत दावेदार हैं। यदि टंडन के नाम पर पार्टी में सहमति के साथ मुहर लगती है तो उन्हें प्रेसिडेंट पद छोड़ना होगा। कमल शर्मा चंडीगढ़ भाजपा प्रेसिडेंट संजय टंडन के अच्छे दोस्त हैं। वह भी टंडन को सपोर्ट करेंगे, ऐसे में टंडन का दावा मजबूत होगा। कमल शर्मा को चंडीगढ़ में पार्टी प्रेसिडेंट के लिए प्रोजेक्ट किया जा सकता है। मौजूदा समय में चंडीगढ़ भाजपा तीन गुटों में बंटी है। इनमें सबसे मजबूत गुट संजय टंडन का है। पार्टी के जिलाध्यक्षों से लेकर मंडल स्तर तक टंडन गुट मजबूत है।
दो साल पहले शिफ्ट होने की तैयारी
फिरोजपुर में कभी सक्रिय रहने वाले कमल शर्मा ने दो साल पहले से ही चंडीगढ़ में शिफ्ट होने के एजेंडे पर काम शुरू कर दिया था। शर्मा को उम्मीद थी कि दोबारा प्रदेश पार्टी की कमान उनके हाथों में आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और पार्टी ने विजय सांपला को भाजपा को प्रदेश प्रधान बना दिया। कमल के फिरोजपुर के करीबी रहे भाजपा नेताओं ने भी इसके बाद उनसे दूरियां बना ली थीं।
इसके चलते उन्हें अहसास हो गया था कि आने वाले समय में फिरोजपुर में उनके लिए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने उनके स्थान पर सुखपाल सिंह नन्नू पर ही भरोसा किया। सांपला व कमल शर्मा के अलग-अलग गुटों से होने का लाभ भी नन्नू को मिला था। नन्नू सांपला के करीबी थे। टिकट न मिलने के बाद कमल शर्मा ने चंडीगढ़ का रुख कर दिया। बताया जा रहा है कि उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 15 में घर भी लिया है।
मनीष तिवारी ने भी बढ़ाई एक्टिविटी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने भी चंडीगढ़ में भी अपनी एक्टिविटी बढ़ा दी है। तिवारी के समर्थक तो उन्हें लोकसभा चुनाव में चंडीगढ़ से मजबूत दावेदार बता रहे हैं। यही कारण है कि तिवारी चंडीगढ़ की कालोनियों व विभिन्न संस्थाओं के एक दर्जन से अधिक प्रोग्राम में शिरकत कर चुके हैं। तिवारी के खास चंद्रमुखी शर्मा के अनुसार यह पार्टी पर निर्भर है कि वह किसे टिकट देती है।
किरण का दावा कपिल नहीं
चंडीगढ़ किरण खेर ने शनिवार को एक प्रोग्राम में कहा कि कपिल देव का नाम जानबूझकर कर उछाला जा रहा है। कपिल देव उनके मित्र हैं। अमित शाह केवल संपर्क अभियान के तहत उनके घर गए थे। कपिल टिकट के दावेदार नहीं हो सकते।