पंजाब: बिजली समझाैते रद्द करने से पीछे हटी मान सरकार!

आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रधान अमन अरोड़ा ने कहा कि सभी बिजली समझौते वर्ष 2008 में हुए थे, जिसके बाद ही प्रदेश में थर्मल प्लांट लगने शुरू हुए। तब राज्य में बिजली की डिमांड 10 हजार मेगावाट थी। अब मांग बढ़ गई है।

आम आदमी पार्टी बिजली समझाैते रद्द नहीं करेगी। पार्टी के प्रदेश प्रधान अमन अरोड़ा ने इसका इशारा दिया है। एक निजी चैनल पर इंटरव्यू को दिए इंटरव्यू में प्रधान अमन अरोड़ा ने कहा है कि अगर ये समझौते रद्द होते हैं तो पंजाब में ब्लैकआउट हो जाएगा।

अरोड़ा ने कहा कि पहले विधानसभा में यह मुद्दा उठाया था, लेकिन तब और आज में जमीन आसमान का फर्क है। यह सभी समझौते वर्ष 2008 में हुए थे, जिसके बाद ही प्रदेश में थर्मल प्लांट लगने शुरू हुए। तब राज्य में बिजली की डिमांड 10 हजार मेगावाट थी। आज 16 हजार मेगावाट तक मांग पहुंच गई है। घरों में 300 यूनिट बिजली फ्री दी जा रही है। इसी तरह किसानों व इंडस्ट्री की मांग भी बढ़ गई है। अब उल्टा बिजली की कमी है।

निकाय चुनाव नतीजों से पार्टी असंतुष्ट
आम आदमी पार्टी पंजाब निकाय चुनाव से नतीजों से संतुष्ट नहीं है। प्रदेश प्रधान अमन अरोड़ा ने कहा है कि दो बड़े शहरों में हम पीछे रहे हैं। उनको यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि ऐसे शहरों में हमें और काम करने की जरूरत है। इन शहरों में हमारी कमी रही हैं। चाहे वह मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में ही हो। आने वाले दो सालों में इन कमियों को दूर किया जाएगा और पार्टी को और मजबूत किया जाएगा।

अरोड़ा ने कहा कि पूरी पारदर्शिता के साथ निकाय चुनाव कराया गया है। इसमें हमें अपनी कमियां पता लगाने का भी मौका मिला है। अरोड़ा ने कहा कि पार्टी को बड़े और ईमानदार नेताओं की जरुरत है। ऐसे सभी नेताओं का पार्टी में स्वागत है जो सूबे की बेहतरी के लिए काम करना चाहते हैं।

किसान आंदोलन से पंजाब का भी नुकसान
किसान आंदोलन पर उन्होंने कहा कि आप सरकार किसानी मसला हल कराना चाहती है। आंदोलन शुरू होने से पहले ही आप ने किसानों और केंद्र सरकार के बीच बैठकें कराई, लेकिन बावजूद इसके इनकी मांगों का हल नहीं निकाला गया। केंद्र सरकार को किसानों की जल्दी सुध लेनी चाहिए, ताकि इस आंदोलन को समाप्त कराया जा सके। इससे नुकसान सिर्फ पंजाब का ही हो रहा है। किसान अपना कामकाज छोड़कर धरने पर बैठे हैं। बंद के कारण प्रदेश की इंडस्ट्री नुकसान झेल रही है, लेकिन केंद्र सरकार के सिर पर कोई जूं नहीं रेंग रही है।

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