पंजाब की राजनीति में परिवारों का डंका है। सूबे में चंद परिवारों के इर्द-गिर्द ही पंजाब की राजनीति घूमती है।
देश की राजनीति में परिवारवाद बड़ा मुद्दा है। पंजाब भी इससे अछूता नहीं है। यहां सरकारें तो बदल जाती हैं, लेकिन सत्ता एक घराने से प्रस्थान कर दूसरे खानदान में चली जाती है। पंजाब की राजनीति चंद घरानों में सिमटी हुई है। इनका लंबा इतिहास है। चुनाव में परिवारवाद मुद्दा तो बनता है, लेकिन सभी पार्टियां किसी न किसी रूप में परिवारवाद को बढ़ावा देती हैं।
यही कारण है कि सूबे की सियासत में परिवारों की विरासत बढ़ती जा रही है। पंजाब में लोकसभा चुनावों को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी है और साथ ही में राजनीति में दबदबा रखने वाले परिवार अपने हिसाब से पंजाब की राजनीति का जोड़-तोड़ व टिकटों का आवंटन कर रहे हैं।
पटियाला से कैप्टन का शाही परिवार, लंबी का बादल परिवार, सराय नागा के बराड़, मजीठिया, पूर्व सीएम बेअंत सिंह का परिवार, माझा से कैरों और मजीठिया का परिवार, मान व दलितों में चौधरी परिवार, जाखड़ आदि राज्य के ये वो राजनीतिक परिवार हैं, जिनके आसपास वर्षों से पंजाब की राजनीति घूम रही है।
बादल परिवार… सुखबीर संभाल रहे पिता की धरोहर
दस बार के विधायक और पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल बेशक इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे सुखबीर बादल अकाली दल की विरासत को संभाल रहे हैं। बादल के कई परिवारों से राजनीतिक संबंध रहे हैं। मजीठिया राजघराने से आने वाली हरसिमरत कौर प्रकाश सिंह बादल की बहू और सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं।
मजीठिया परिवार स्वयं सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह के मजीठिया सेनापति अत्तर सिंह मजीठिया के वंशज हैं। हरसिमरत बादल ने 2009 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी, जब बठिंडा सीट से पटियाला शाही परिवार के उत्तराधिकारी और पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह को हराया था।
माझा की राजनीति में मशहूर बिक्रम सिंह मजीठिया उनके भाई हैं। प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास बादल खुद सांसद और विधायक रहे। उनके बेटे मनप्रीत बादल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अकाली दल से की, लेकिन बाद में उनका अपने चचेरे भाई सुखबीर सिंह बादल से अनबन हो गई।
वह इन दिनों भाजपा में हैं। पटियाला राजपरिवार का कांग्रेस से पुराना नाता रहा है लेकिन अब भाजपा की तरफ चला गया है। 2002 में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रकाश सिंह बादल को हराकर पहली बार सीएम बने तो उन्होंने कांग्रेस का झंडा फहराया था।
बराड़ परिवार… तीसरी पीढ़ी आगे बढ़ा रही राजनीति
बराड़ परिवार दक्षिण-पश्चिम पंजाब का एक और शक्तिशाली परिवार है। यह परिवार सरपंच से लेकर पंजाब के सीएम तक का सफर तय कर चुका है। 1919 में एक जट सिख परिवार में पैदा हुए हरचरण सिंह बराड़ 1995 में कांग्रेस की ओर से पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
बेअंत सिंह के आतंकवादी हमले में मारे जाने पर उन्हें पंजाब की कुर्सी मिली। हरचरण सिंह बराड़ का वैवाहिक संबंध भी एक राजनीतिक परिवार में हुआ। उन्होंने पंजाब के पूर्व सीएम प्रताप सिंह कैरों की भतीजी गुरबिंदर कौर से शादी की थी। हरचरण सिंह बराड़ और गुरबिंदर कौर के दो बच्चे हैं। कंवरजीत सिंह बराड़ और कमलजीत बराड़ उर्फ बबली। कंवरजीत सिंह बराड़ दो बार विधायक बने। पहली बार 1977 में और दूसरी बार 2007 में विधायक की कुर्सी हासिल की।
कंवरजीत सिंह बराड़ का निजी जीवन भी राजनीति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। उन्होंने करण कौर बराड़ से शादी की। करण कौर बराड़ की बहन हरिप्रिया की शादी कैप्टन अमरिंदर के छोटे भाई मलविंदर से हुई है। करण कौर बराड़ ने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में खुद को कैप्टन अमरिंदर सिंह की भाभी के रूप में पेश किया था। अब करण कौर बराड़ के छोटे बेटे करणबीर बराड़ बराड़ परिवार की राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं।
कैप्टन परिवार… अब बेटी भी उतरी मैदान में
कैप्टन अमरिंदर के पिता यादविंदर सिंह और मां मोहिंदर कौर दोनों ही कांग्रेस से जुड़ी हुई थीं। मोहिंदर कौर पहले कांग्रेस से राज्यसभा गईं, फिर चौथी लोकसभा (1967-71) में कांग्रेस के टिकट पर पटियाला से सांसद बनीं। कैप्टन की पत्नी परनीत कौर कांग्रेस सरकार में केंद्र में मंत्री रह चुकी हैं और अब पटियाला से भाजपा की उम्मीदवार हैं। बेटी जयइंदर कौर भाजपा की महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं। 1980 में कैप्टन अमरिंदर ने पटियाला सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1984 के बाद अमरिंदर अकाली दल में चले गए और फिर कांग्रेस में लौट आए।
मजीठिया परिवार… पुश्तैनी सीट पर पत्नी संभाल रहीं जिम्मेदारी
मजीठा अमृतसर जिले का एक इलाका है और यहीं से पंजाब की राजनीति में मजीठिया घराने का उदय हुआ। मजीठिया परिवार ने पंजाब को मुख्यमंत्री नहीं दिया लेकिन राज्य में उनकी स्थिति कम नहीं रही। यह परिवार सिखों की धार्मिक और राजनीतिक धारा को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
- सुंदर सिंह मजीठिया शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पहले अध्यक्ष बने और विभाजन से पहले और बाद में संयुक्त पंजाब में सिख राजनीति पर प्रभाव डाला। बिक्रम मजीठिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर भाई-बहन हैं।
- बिक्रम मजीठिया के दादा सुरजीत सिंह मजीठिया जवाहरलाल नेहरू के समय में भारत के उप रक्षा मंत्री (1952-62) थे। बिक्रम मजीठिया के पिता का नाम सत्यजीत मजीठिया है। 2007 में उन्होंने अकाली दल के टिकट पर मजीठा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस को इस सीट से इस तरह बाहर कर दिया कि कांग्रेस वापसी नहीं कर पाई।
- बिक्रम मजीठिया यहां से लगातार 2007, 12 और 17 में विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2022 में उनकी पत्नी गनीव कौर मजीठिया विधायक बनी।
कैरों परिवार… आदेश प्रताप सिंह कैरों के हाथ में कमान
कैरों तरनतारन जिले का एक गांव है जहां से कैरों वंश का उदय हुआ। पंजाब को मुख्यमंत्री जिसने दिया, उसका नाम प्रताप सिंह कैरों है। प्रताप सिंह कैरों की राजनीतिक विरासत उनके बेटों सुरिंदर सिंह कैरों और गुरिंदर सिंह कैरों ने संभाली। गुरिंदर सिंह कैरों अपने पिता की तरह कांग्रेसी बने रहे लेकिन उनके बड़े बेटे सुरिंदर सिंह कैरों शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए। वे तरनतारन से सांसद बने और तीन बार विधायक भी रहे।
- सुरिंदर सिंह कैरों की राजनीतिक विरासत वर्तमान में अकाली दल के वरिष्ठ नेता आदेश प्रताप सिंह कैरों के हाथों में है। वह अकाली सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री थे। आदेश प्रताप सिंह कैरों पंजाब के पूर्व सीएम और वरिष्ठ बादल प्रकाश सिंह बादल के दामाद हैं। 1982 में उन्होंने सुखबीर बादल की बहन परनीत कौर से शादी कर ली थी।
- पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान और कैप्टन अमरिंदर सिंह साढ़ू-भाई हैं और पंजाब की राजनीति में सक्रिय हैं। मान संगरूर से सांसद हैं। कैप्टन अमरिंदर की पत्नी परनीत कौर और सिमरनजीत सिंह मान की पत्नी गीतिंदर कौर सगी बहनें हैं। परनीत और गीतिंदर के पिता ज्ञान सिंह कहलों नौकरशाह रह चुके हैं। वह पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं।
जाखड़ परिवार… कांग्रेस-भाजपा में बराबर पकड़
डॉ. बलराम जाखड़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे। भारत के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष होने के अलावा वह मध्य प्रदेश प्रांत के राज्यपाल रह चुके हैं। बलराम जाखड़ के सबसे छोटे बेटे सुनील जाखड़ ने 2002 से 2012 तक लगातार तीन बार अबोहर सीट से जीत हासिल की। 2012 से 2017 तक उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में काम किया। वह 2017 में एक उपचुनाव में गुरदासपुर से लोकसभा के लिए चुने गए थे और पिछले साल तक राज्य कांग्रेस प्रमुख भी रहे। जब उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुनील जाखड़ भाजपा के प्रदेश प्रधान है और उनका भतीजा संदीप जाखड़ अबोहर से कांग्रेसी विधायक।
बेअंत सिंह का परिवार… पोते काट रहे सियासी फसल
बेअंत सिंह का परिवार भी राजनीति की तीसरी पीढ़ी में है। वह पंजाब के सीएम थे तो आंतकियों ने उनकी हत्या कर दी थी। उनकी विरासत बेटे तेजप्रकाश सिंह ने संभाली जो पंजाब में मंत्री रहे। पोते गुरकीरत कोटली विधायक बने तो दूसरा पोता रवनीत बिट्टू लुधियाना से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड रहा है। बेटी गुरकंवल कौर पंजाब की मंत्री रह चुकी हैं। मास्टर गुरबंता सिंह पंजाब के दलित नेता रहे हैं और मंत्री भी रह चुके हैं। बेटा जगजीत चौधरी पंजाब का निकाय मंत्री रह चुका है। दूसरा बेटा चौधरी संतोख सिंह दो बार सांसद। पोता बिक्रम चौधरी फिल्लौर से विधायक है। दूसरा पोता चौधरी सु्रिंदर 2017 में कांग्रेस का विधायक था लेकिन 2022 में हार गया।